आज इंडोस्कोपी, स्टीरियोटैक्सी, रोबोटिक सर्जरी एवं गामा / एक्स नाइफ जैसी मिनिमल इंवैसिव तकनीकों की बदौलत मस्तिष्क के आपरेशन के लिये दिमाग पर नश्तर चलाने की जरूरत काफी हद तक समाप्त हो गयी है। कुछ वर्ष पूर्व तक मस्तिष्क के आपरेशन काफी खतरनाक माने जाते थे जिनसे मरीज की जान जाने अथवा उसके विकलांग हो जाने की आशंका बहुत अधिक रहती थी लेकिन आज मस्तिष्क की सर्जरी काफी हद तक सुरक्षित, कष्टरहित एवं कारगर हो गयी है।
स्टीरियोटैक्सी सर्जरी
आज स्टीरियोटैक्सी तकनीक के आगमन से मस्तिष्क की सर्जरी के क्षेत्र में क्रांति आ गयी है। इसकी मदद से मस्तिष्क एवं उसके किसी भी हिस्से को कोई नुकसान पहुंचाये बगैर मस्तिष्क के भीतर की किसी भी संरचना तक पहुंचा जा सकता है और उसकी खराबियों को दूर किया जा सकता है। ।
स्टीरियोटैक्सी सर्जरी की शुरूआत डाईस्काइनेसिय एवं दर्द से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिये हुयी थी लेकिन आज इसका इस्तेमाल दिमाग में रक्त के थक्के (एन्युरिज्म), मस्तिष्क रक्तस्राव, मस्तिष्क ट्यूमर जैसी मस्तिष्क की विभिन्न समस्याओं के अलावा स्पाइन की बीमारियों को दूर करने के लिये भी होने लगा है। हाल के वर्षों में स्टीरियोटैक्सी तकनीकों के इस्तेमाल में काफी वृद्धि हुयी है। इसकी मदद से कम्प्यूटरीकृत एक्सियल टोमोग्राफी( सी टी स्कैन) और न्यूक्लियर मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग जैसी तकनीकों के विकास से सर्जन को स्टीरियोटैक्टिक सर्जरी की प्लानिंग में काफी मदद मिलने लगी है। इससे सर्जरी लगभग शत- प्रतिशत सही एवं कामयाब होने लगी है।
स्टीरियोटैक्सी सर्जरी दो तरह की होती है- फ्रेम वाली और बिना फ्रेम वाली। फ्रेम वाली स्टीरियोटैक्सी सर्जरी करीब 30.40 सालों से हो रही है लेकिन बिना फ्रेमवाली स्टीरियोटैक्सी सर्जरी और कम्प्यूटरीकृत फ्रेमयुक्त स्टीरियोटैक्सी सर्जरी का इस्तेमाल हाल में ही शुरू हुआ है। स्टीरियोटैक्सी सर्जरी की मदद से मस्तिष्क ट्यूमर का सही-सही पता लगाया जा सकता है, उसकी बायोप्सी ली जा सकती है या उसे निकाला जा सकता है।
रोबोटिक सर्जरी
फ्रेमलेस स्टीरियोटैक्सी सर्जरी में अब रोबोट की मदद भी ली जाने लगी है। इसके तहत सर्जरी से सबंधित आंकड़े एवं जानकारियों को आपरेशन थियेटर के कम्प्यूटर पर भेज दिया जाता है। यह कम्प्यूटर रोबोट को बताता है कि ट्यूमर कहां पर और कितनी गहराई में है। इसके बाद रोबोट के हाथ की मदद से सर्जरी की जाती है। हालांकि हमारे देश में अभी रोबोटिक सर्जरी सिर्फ अपोलो अस्पताल में ही उपलब्ध है।
आने वाले समय में इंटरनेट और रोबोट की मदद से शल्य चिकित्सक अब आपरेशन कक्ष में यहां तक कि उसी शहर या देश में मौजूद रहे बगैर रोगियों का आपरेशन कर सकेंगे। अमरीका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में प्रयोग के स्तर पर इस तरह के आपरेशनों की शुरूआत हो चुकी है। इसके तहत आने वाले समय में मरीज की एम.आर.आई. (मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग), सीटी (कम्प्यूटर टोमोग्राफी) अथवा पेट (पोजिट्राॅन इमिशन टोमोग्राफी) जैसे परीक्षणों के स्कैन इंटरनेट के जरिये दूर बैठे सर्जन को भेज दिये जाते हैं और सर्जन स्कैन का विश्लेषन करके सर्जरी की प्लानिंग करके अपने कम्प्यूटर से ही आपरेशन कक्ष में इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर संचालित रोबोट को आपरेशन से संबंधित निर्देश देता है और रोबोट सर्जन के निर्देश के अनुसार मरीज का आपरेशन करता है।
इंटरनेट की मदद से रोबोटिक सर्जरी न केवल अधिक सही एवं सुरक्षित होती है बल्कि समय गंवाये की जा सकती है। इसमें गलती की गुंजाइश कम होती है।
मस्तिष्क की इंडोस्कोपी
इंडोस्कोपी की बदौलत मस्तिष्क के भीतर झांकना, मस्तिष्क की नाजुक एवं सूक्ष्मतम कोशिकाओं तक पहुंचना एवं उनका आपरेशन करना कष्टरहित, आसान और सुरक्षित हो गया है। इंडोस्कोपी के विकास के कारण अब खोपड़ी में बहुत छोटा सूराख करके ही अथवा मस्तिष्क को खोले बगैर बड़े से बड़े आपरेशन किये जा सकते हैं।
इंडोस्कोप बुनियादी तौर पर एक ऐसा उपकरण है जिससे शरीर के किसी भाग के भीतर प्रकाश भेजा जा सकता है। अगर इससे शक्तिशाली कैमरा एवं प्रकाश स्रोत जोड़ दिया जाये तो यह शरीर के भीतर की तस्वीरों को इससे जुड़े टेलीविजन माॅनीटर पर दिखा सकता है। इससे शल्य चिकित्सक बड़ा छेद किये बगैर शरीर के अंदर की गतिविधियों को साफ तौर पर देख सकता है। सर्जन इन तस्वीरों के आधार पर आधुनिकतम सूक्ष्म इंडोस्कोपी उपकरणों की मदद से जटिल से जटिल आपरेशन अत्यंत सफलतापूर्वक एवं किसी जोखिम के बगैर कर सकता है।
इंडोस्कोपी की मदद से पीयूष ग्रंथि के ट्यूमर को निकालना, दिमाग के पानी के रिसाव को बंद करना, क्लिवस जैसे मस्तिष्क के कुछ भागों की बायोप्सी करना तथा मस्तिष्क में रक्त के थक्के का पता लगाकर उसे निकालना बिल्कुल आसान एवं कष्टरहित हो गया है। इंडोस्कोपी आधारित कीहोल क्रानियोटोमी की मदद से दिमागी फोड़े, एन्युरिज्म एवं सिस्ट आदि का इलाज संभव हो गया है।
माइक्रोडिस्क एक्टमी
आधुनिक न्यूरो सर्जरी की एक और उपलब्धि माइक्रो डिस्क एक्टमी के रूप में सामने आयी है। इसमें माइक्रोस्कोप की मदद से डिस्क एक्टमी की जाती हैं। इसमें भी डेढ़ से दो इंच का चीरा लगाया जाता है। इसमें कैमरा युक्त स्कोप डालकर पिट्यूटरी या अन्य ट्यूमर को निकाला जा सकता है। इस आपरेशन के लिये मरीज को कई बार बेहोश भी नहीं करना पड़ता बल्कि स्थानीय एनीस्थिया से भी आपरेशन हो सकता है और मरीज दूसरे ही दिन घर जा सकता है।
गामा/एक्स नाइफ
आज गामा नाइफ एवं एक्स नाइफ जैसी तकनीकों की मदद से मस्तिष्क में चीर-फाड़ किये बगैर ट्यूमर का सफाया किया जा सकता है।
आधुनिक समय में लगभग हर तरह के ट्यूमर खास तौर पर कैंसर रहित अर्थात बिनाइन ट्यूमर के कष्टरहित तथा कारगर इलाज के लिये गामा नाइफ का सफलता पूर्वक उपयोग हो रहा है। गामा नाइफ की मदद से आपरेशन के बाद छूटे हुये ट्यूमर को भी हटाया जा सकता है। साथ ही इसकी मदद से मस्तिष्क में गहराई में स्थित ट्यूमर का इलाज किया जा सकता है क्योंकि शल्य क्रिया की मदद से उस ट्यूमर तक पहुंचना कई बार संभव नहीं होता है।