ब्रेन स्ट्रोक के संकेतों पर ध्यान दें

ब्रेन स्ट्रोक क्या है
स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति में बाधा आने के कारण होता है। यह आमतौर तब होता है जब रक्त वाहिका फट जाती है या किसी थक्के के कारण अवरुद्ध हो जाती है। इससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति में कमी आ जाती हैए जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। जब मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं मर जाती हैं, तो शरीर के विभिन्न हिस्सों को नियंत्रित करने की उनकी कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचता है या उसमें कमी आ जाती है। 
भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामले
भारत में यह मौत का दूसरा सबसे आम कारण है और विकलांगता का चौथा प्रमुख कारण है। भारत में हर साल हर एक लाख लोगों में से 139 लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है। 
दुनिया भर में यह मौत का दूसरा और विकलांगता का चौथा सबसे आम कारण है।
स्ट्रोक के प्रकार : स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं— इस्किमिक और हेमोरेजिक। 
इस्किमिक स्ट्रोक : इस्किमिक स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त आपूर्ति में बाधा पहुंचने के कारण होता है।
हेमोरेजिक स्ट्रोक : हेमोरेजिक स्ट्रोक रक्त वाहिका के फटने या असामान्य वैस्कुलर संरचना के कारण होता है। सभी स्ट्रोकों में से लगभग 87 प्रतिशत स्ट्रोक इस्किमिया के कारण होते हैं, और शेष रक्तस्राव के कारण होते हैं।
इसके अलावा एक अन्य प्रकार का भी स्ट्रोक होता है जिसे ट्रांसियेंट इस्किमिक अटैक —टीआईए कहा जाता है जो इस्किमिक स्ट्रोक के समान होता है। इसके लक्षण आम तौर पर एक घंटे से कम समय में ही पूरी तरह से स्पष्ट हो जाते हैं। ज्यादातर टीआईए केवल पांच या दस मिनट के लिए होते हैं। चूंकि इस तरह के स्ट्रोक बहुत छोटे और दर्दनाक नहीं होते हैंए इसलिए उन्हें अक्सर रोगियों के द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है। हालांकिए स्ट्रोक पड़ने से कुछ दिन या कुछ हफ्ता पहले टीआईए हो सकता है और इसलिए टीआईए को चेतावनी संकेत माना जाता है। टीआईए वाले मरीजों को जल्द से जल्द व्यापक मूल्यांकन करना चाहिएए क्योंकि कभी—कभी जांच में अंतर्निहित समस्या का पता चलता है जिसका इलाज किया जा सकता हैए और स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है।
कारण
बुजुर्ग लोगों में स्ट्रोक के सर्वाधिक सामान्य कारण उच्च रक्तचाप, शराब का सेवन, धूम्रपान और हाइपरलिपिडेमिया है जबकि युवाओं में उपरोक्त कारणों के अलावा अधिक मोटापा एवं मधुमेह भी स्ट्रोक के कारण हो सकते हैं। 
लक्षण
स्ट्रोक के सबसे आम लक्षण चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नपन है, जो अक्सर शरीर के एक तरफ होती है। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं : भ्रम, बोलने में कठिनाई या समझने में कठिनाई, एक या दोनों आंखों से देखने में कठिनाई, चलने में कठिनाई, चक्कर आना, संतुलन या समन्वय में कमी, किसी ज्ञात कारण के बिना ही तेज सिरदर्द, बेहोशी या अचेत होना।
स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। फास्ट —एफएएसटी एक ऐसा संक्षिप्त शब्द है जिससे स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों को याद रखने में आपकी मदद मिलेगी।
फास्ट — एफएएसटी : स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों को याद रखने में आपकी मदद करने के लिए एक संक्षिप्त शब्द है।
चेहरे का लटकना — फेस ड्रूपिंग :  चेहरा एक तरफ से लटक जाता है या सुन्न पड़ जाता है। जब व्यक्ति को मुस्कुराने के लिए कहा जाता हैए तो व्यक्ति की मुस्कुराहट असामान्य दिखती है।
हाथ में कमजोरी —आर्म विकनेस : एक हाथ में कमजोरी या सुन्नपन महसूस होगा। जब व्यक्ति को दोनों हाथ उठाने के लिए कहा जाता हैए तो व्यक्ति का एक हाथ नीचे की तरफ गिर जाता है।
बोलने में कठिनाई —स्पीच डिफिकल्टी : व्यक्ति को बोलने में परेशानी होगी। आवाज लड़खड़ाने लगी या उसके द्वारा बोले गये शब्दों को समझना मुश्किल होगा। जब व्यक्ति को एक साधारण वाक्य दोहराने के लिए कहा जाता है तो उसे सही ढंग से दोहराने में परेशानी होगी।
एम्बुलेंस मंगाए — टाइम टू कॉल एम्बुलेंस : यदि व्यक्ति में उपर्युक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण प्रकट होता है तो एम्बुलेंस को बुलाएं और मरीज को अस्पताल ले जाएं। उस समय को दर्ज करें जब लक्षण पहली बार प्रकट हुए थे।
निदान
उपचार को निर्धारित करने के लिए नैदानिक परीक्षणों में शामिल हो सकते हैं :
— स्ट्रोक के प्रकार, स्थान और सीमा को समझने के लिए सीटी या एमआरआई जैसे न्यूरोलॉजिक ब्रेन इमेजिंग टेस्ट।
— रक्त प्रवाह और रक्तस्राव की जगहों का पता लगाने के लिए कैरोटीड और ट्रांसक्रैनियल अल्ट्रासाउंड और एंजियोग्राफी।
— रक्त के थक्के जो मस्तिष्क में जा सकते हैं उनके कार्डियेक स्रोत की पहचान करने के लिए हृदय की ईकेजी या अल्ट्रासाउंड परीक्षण।
इलाज 
इस्किमिक स्ट्रोक का इलाज करने के लिए मानक तरीका रोगी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना है। रोगी के अस्पताल आने के 60 मिनट के अंदर उसे क्लॉट को घुलाने वाली दवा — टिशू प्लास्मिनोजेन एक्टिवेटर,ए या टीपीए दी जाती है जो संभावित रूप से स्ट्रोक के लक्षणों को खत्म कर सकता है।
स्ट्रोक के इलाज और रोकथाम में मदद करने के लिए सर्जरी के कई विकल्प हैं। कुछ सर्जरी का इस्तेमाल इस्किमिक स्ट्रोक के इलाज और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण धमनियों से प्लेक को हटाने में मदद के लिए किया जाता है। अन्य प्रकार की सर्जरी का इस्तेमाल मस्तिष्क के रक्तस्राव — हेमोरेजिक स्ट्रोक को रोकने या बंद करने के लिए किया जाता है।