हमारे देश में, अस्पतालों में भर्ती होने वाले पहली बार स्ट्रोक के शिकार होने वाले लगभग पांच में से एक रोगी 40 साल या उससे कम उम्र के होते हैं। कम उम्र में ही धूम्रपान करने, सिस्टोलिक हाइपरटेंशन से पीड़ित होने, फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज के स्तर के अधिक होने, और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल के कम होने के जैसे कारणों से कम उम्र में ही स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। जागरूकता की कमी, साक्षरता की कम दर और खराब प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं इसके लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में स्ट्रोक होने की दर अधिक है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में हाल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार खान-पान की खराब आदतें और व्यायाम की कमी स्ट्रोक के किसी भी अन्य जोखिम कारक की तुलना में प्रमुख जोखिम कारक हैं।
स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की रक्त आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है या रक्त वाहिका फट जाती है, जिसके कारण मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है और मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है या इनकी मौत हो जाती हैं। दुनिया भर में हर साल, लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को स्ट्रोक होता है। इनमें से 60 लाख लोगों की मौत हो जाती है और 50 लाख लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं, जिससे कारण स्ट्रोक विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण बन गया है।
दुनिया भर में स्ट्रोक के प्रमुख जोखिम कारकों में उच्च रक्तचाप, फलों का कम सेवन, शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बीएमआई) का अधिक होना, सोडियम का अधिक सेवन, धूम्रपान, सब्जी का कम सेवन, वायु प्रदूषण, घरेलू प्रदूषण, साबुत अनाज का कम सेवन, और उच्च रक्त शर्करा शामिल है।
देश के कुछ हिस्सों में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को स्ट्रोक होने का खतरा पांच गुना अधिक होता है। इसके लिए खराब सामाजिक आर्थिक स्थिति और महिलाओं में कम साक्षरता दर जिम्मेदार है। विकासशील देशों (भारत) में स्ट्रोक वाले मरीजों की औसत आयु अमेरिका जैसे विकसित देशों की तुलना में 15 वर्ष कम है।
उच्च रक्तचाप - स्ट्रोक का प्रमुख कारण
अफसोस की बात है कि भारतीय उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक के अन्य जोखिम कारकों के प्रति अधिक संवदेनशील हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ब्रिटेन की तुलना में भारत में स्ट्रोक से संबंधित मौतें अधिक होती हैं।
उच्च रक्तचाप स्ट्रोक के लिए अकेला सबसे बड़ा जोखिम कारक है, और ब्लाॅकेज (इस्कैमिक स्ट्रोक) के कारण लगभग 50 प्रतिशत स्ट्रोक होते हैं। यह मस्तिष्क में रक्तस्राव के खतरे को भी बढ़ाता है जिसे हेमोरेजिक स्ट्रोक कहा जाता है। हालांकि उच्च रक्तचाप दिल के दौरे का खतरा बढ़ा सकता है और अन्य अंगों के क्षति पहुंचा सकता है, लेकिन इसका सबसे विनाशकारी प्रभाव स्ट्रोक के रूप में देखा जा सकता है।
उच्च रक्तचाप मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं सहित आपके शरीर में सभी रक्त वाहिकाओं पर स्ट्रेस पैदा करता है। इसके कारण, रक्त परिसंचरण को जारी रखने के लिए आपके दिल को बहुत कठिन काम करना पड़ता है। यह स्ट्रेस आपके रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके कारण वे कठोर और संकुचित हो जाती है। यह स्थिति एथरोस्क्लेरोसिस कहलाती है। इससे अवरोध होने की संभावना बढ़ जाती है, जो स्ट्रोक या ट्रांजिएंट इस्कीमिक अटैक (टीआईए, कभी-कभी मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है) का कारण बन सकता है।
उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक के खतरे के बीच मजबूत संबंध है, और रक्तचाप जितना अधिक होगा, स्ट्रोक होने का खतरा उतना ही अधिक होगा। हमने अपने अनुभव में पाया है कि स्ट्रोक के रोगियों में सबसे आम जोखिम कारक यही है। उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं के ''बैलूनिंग'' के खतरे को बढ़ा सकता है जिसे एन्यूरिज्म कहा जाता है जो बड़े पैमाने पर ब्रेन हैमरेज पैदा कर सकता है।
सलाह - रोजाना एक घंटे तक तेज चलने और नमक के सेवन को 2 ग्राम प्रति दिन कम करने पर आपके रक्तचाप को कम करने में मदद मिल सकती है।
सभी स्ट्रोक में से 50 प्रतिशत से अधिक स्ट्रोक को रक्तचाप को नियंत्रित करके रोका जा सकता है।
वायु प्रदुषण
हैरानी की बात है कि वायु प्रदूषण हमारे देश में स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्ट्रोक से जुड़ी लगभग 30 प्रतिशत विकलांगता का संबंध वायु प्रदूषण से है, जो विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में विशेष रूप अधिक है। विकासशील देशों में यह 33.7 प्रतिशत और विकसित देशों में 10.2 प्रतिशत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में सालाना 43 लाख लोगों की घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण मौत हो जाती है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में, भारत में स्ट्रोक के घातक परिणाम दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर उच्च रक्तचाप है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में, 30 करोड़ से अधिक लोग अपने घरों में खाना पकाने या अपने घरों को गर्म करने के लिए पारंपरिक स्टोव या खुली आग का उपयोग करते हैं जिनके लिए वे ठोस ईंधन (कोयले, लकड़ी, चारकोल, फसल अवशेष) आदि का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के हानिकारक प्रथाओं में बहुत अधिक घरेलू प्रदूषण होता है जिसमें सूक्ष्म कण और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूशक होते हैं। इसके कारण विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य रोग होते हैं।
बिगड़ती जीवन शैली से बढ़ते स्ट्रोक के खतरे
~ ~
SEARCH
LATEST
6-latest-65px
POPULAR-desc:Trending now:
-
- Vinod Kumar मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्सर मस्तिष्क रक्त स्राव का कारण बनती ह...
-
विनोद कुमार, हेल्थ रिपोर्टर वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी लेकिन कोरोना से बच नहीं पाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक...
-
कॉस्मेटिक उपचार के बारे में मन में अक्सर कई विरोधाभाश और सवाल उठते रहते हैं लेकिन अब इनके जवाब अनुत्तरित रह नहीं रह गये हैं। यहां यह उल्लेख ...
-
– विनाेद कुमार संगोष्ठी के दौरान डा़ रामदास तोंडे की पुस्तक ʺसाहित्य और सिनेमाʺ का लोकार्पण तेजी से बदलते युग में ‘साहित्य और सिनेमा’ विषय प...
-
चालीस-पचास साल की उम्र जीवन के ढलान की शुरूआत अवश्य है लेकिन इस उम्र में अपने जीवन के सर्वोच्च मुकाम पर पहुंचा व्यक्ति पार्किंसन जैसे स्नायु...
Featured Post
24th ICSI National Awards for Excellence in Corporate Governance
24th ICSI National Awards for Excellence in Corporate Governance Shri Basavaraj Bommai, Member of Parliament, Lok Sabha and Former Chief Min...
Blog Archive
Labels
addiction
ayurveda
ayush
traditional medicine
Beauty & Fitness
black fungus
bollywood
breat cancer
central government
Chandrayaan-3
children
CII
cinama
literature
corona
cosmetic laxe
covid
covid positiv mother
diabetes
diet
divyang
DNA vaccine
eye care
eye donation
food
food & nutrition
gov
health
Health centre
health and food
Health Articles
health family welfare
Health News
health news
corona
health problems
healthy food
healthy heart
Heart Care
heart diseases
covid-19
Heart Problems
immunisation
pandemic
infertility
joshimath
Lifestyle
mental health
monkey pox
National News
nutrition
child health
obesity
obesity in children
obesity and mental health
proteins
roda safety
soy food industry
soya
UHI
vaccination
vaccine
WHO
Women's Health
yoga