भारत में वर्तमान में आयात किये जाने इंप्लांट से पांच गुना कम खर्च में बनाया जा सकता है यह इंप्लांट
भारत में वैज्ञानिकों ने एक अभिनव और सस्ता डेंटल इंपलांट का विकास किया है जिसकी बदौलत लाखों लोगों के लिए कम खर्च में ही दंत प्रतिस्थापन (टूथ रिप्लेसमेंट) और पुनस्र्थापन (रिस्टोरेशन) कराना संभव हो जाएगा।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलाॅजी लीडरशिप इनीशिएटिव (एनएमआईटीएलआई) योजना के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट आफ डेंटल साइंसेज ने इस इंप्लांट को विकसित किया है।
शोध टीम के अनुसार, इंप्लांट पर किये गये परीक्षण में पता चला है कि यह इंप्लांट वर्तमान समय में आयातित बेहतरीन इंप्लांट से भी बेहतर काम कर सकता है और उस इंप्लांट की तुलना में पांच गुना कम खर्च में ही इसे बनाया जा सकता है।
सरकार के 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में इसकी व्याख्या करते हुए आईआईटी, दिल्ली के परियोजना समन्वयक और एसोसिएट डीन (अनुसंधान एवं विकास) नरेश भटनागर, ने कहा कि इस इंप्लांट की कीमत प्रति इंप्लांट 3000 रुपये होगी जबकि आयातित इंप्लांट की कीमत 18000 से 20000 रुपये है।
डंेटल इंप्लांट को सर्जरी की मदद से क्राउन या डेन्चर जैसे प्रोस्थेटिक के लिए सपोर्ट या माउंट की तरह ही हड्डी से सहारा देते हुए प्रत्यारोपित किया जाता है। इंप्लांट की कारगरता का पता इंप्लांट के द्वारा तनाव और बायोकेमिकल दबाव को सहन करने की क्षमता से चलता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार नये इंप्लांट को इस प्रकार बनाया गया है ताकि यह तनाव को कम कर सके और इसके विकसित फीचर के कारण इसे बनाने में भी कम खर्च आता है और इसे एक दांत या कई दांतों के लिए आसानी से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इस डिवाइस का कई केन्द्रों पर परीक्षण किया जा रहा है और वर्तमान में इसे शत प्रतिशत सफल पाया गया है।
डॉ. भटनागर के अनुसार, दंत प्रत्यारोपण भारत में अपेक्षाकृत कम कराया जाता है और इसका एक प्रमुख कारण इस प्रक्रिया का अत्यधिक खर्चीला होना है। यहां हर साल सिर्फ दो या तीन लाख दंत प्रत्यारोपण ही किये जाते हैं। यहां कोरिया जैसे देशों की तुलना में भी कम दंत प्रत्यारोपण किये जाते हैं जहां की आबादी यहां से बहुत कम है लेकिन दोनों देशों में हर साल लगभग बराबर संख्या में दंत प्रत्यारोपण किये जाते हैं। डाॅ. भटनागर ने कहा, ''यह स्पष्ट है कि इंप्लांट के अत्यधिक महंगा होने के कारण भारत में जरूरतमंद कई लोग डेंटल इंप्लांट नहीं करा पाते हैं।