भारत में उच्च रक्तचाप के 85 प्रतिशत मरीजों को होता है स्ट्रोक का अटैक

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-एनसीआर में उच्च रक्तचाप के मामलों में पिछले 2-3 वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है जिसके कारण स्ट्रोक और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों के प्रकोप में वृद्धि होने का गंभीर खतरा पैदा हो गया है। 
आर्टिमिस हाॅस्पिटल के एग्रिम इंस्टीच्यूट फाॅर न्यूरो साइंसेस के न्यूरो इंटरवेंशन विभाग के निदेशक डाॅ. विपुल गुप्ता कहते हैं, ''उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का सबसे बड़ा जोखिम कारक है, जो ब्लाॅकेज (इस्कैमिक स्ट्रोक) के कारण लगभग 50 प्रतिशत स्ट्रोक पैदा कर रहा है। यह मस्तिष्क में रक्तस्राव (जिसे हेमोरेजिक स्ट्रोक कहा जाता है) के खतरे को भी बढ़ाता है। हालांकि उच्च रक्तचाप के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है और अन्य अंगों को भी क्षति हो सकती है, लेकिन इसका सबसे विनाशकारी प्रभाव स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में देखा जा सकता है।'' 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल की तुलना में, उच्च रक्तचाप के कारण स्ट्रोक के मामलों में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मूक हत्यारे के रूप में कुख्यात उच्च रक्तचाप सभी स्ट्रोक के कारण होने वाले 60 प्रतिशत मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के अध्ययनों ने इस पारंपरिक विचार को गलत साबित कर दिया है कि यह रोग केवल साठ से सत्तर साल के लोगों को ही हो सकता है। पिछली सभी मान्यताओं को झुठलाते हुए रक्त चाप ने युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है और युवाओं में रक्त चाप के कारण मृत्यु दर और विकलांगता दर तेजी से बढ़ी है।
नयी दिल्ली के न्यूरो इंटरवेंशन सर्जन डॉ. राज श्रीनिवासन कहते हैं, ''उच्च रक्तचाप आपके शरीर में सभी रक्त वाहिकाओं पर स्ट्रेन पैदा करता है, जिसमें मस्तिष्क की ओर जाने वाली रक्त वाहिकाएं भी षामिल हैं। इसके कारण, रक्त परिसंचरण को जारी रखने के लिए दिल को अधिक कठिन काम करना पड़ता है। यह स्ट्रेन रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे वे कड़ी और संकुचित हो जाती है। यह स्थिति एथरोस्क्लेरोसिस कहलाती है। इसके कारण ब्लाॅकेज होने की संभावना बढ़ जाती है, जो स्ट्रोक या ट्रांसियेंट इस्कीमिक अटैक (टीआईए, कभी-कभी मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है) का कारण बन सकता है।'' 
उनका सुझाव है कि दिन में 1 घंटे तेजी से टहलने और प्रति दिन 2 ग्राम तक नमक का सेवन कम कर रक्तचाप को कम करने में मदद मिल सकती है। सभी स्ट्रोक में से 50 प्रतिशत से अधिक स्ट्रोक को रक्तचाप को नियंत्रित करके रोका जा सकता है।
डॉ. गुप्ता ने कहा, ''रक्तचाप और स्ट्रोक के खतरे के बीच संबंध मजबूत है, और रक्तचाप जितना अधिक होगा, स्ट्रोक का खतरा उतना ही अधिक होगा। 
डाॅ. गुप्ता ने कहा कि उन्होंने अपने करियर के दौरान यह देखा है कि स्ट्रोक के रोगियों में सबसे आम जोखिम कारक उच्च रक्तचाप ही है। उन्होंने कहा कि उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं के 'बैलूनिंग' के खतरे को बढ़ा सकता है, जिसे एन्यूरिज्म कहा जाता है और जो बड़े पैमाने पर मस्तिष्क के रक्तचाप का कारण बन सकता है।