भारत में स्तन कैंसर के 90 प्रतिशत मामले में कारण स्पष्ट नहीं होते हैं

भारतीय लोगों के बीच जागरूकता बढ़ने के कारण, अब हर साल स्तन कैंसर के अधिक मामलों को पंजीकृत किया जा रहा है। स्तन कैंसर दुनिया भर में कैंसर से ग्रस्त मरीजों की मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। स्तन कैंसर के रोगियों में से 15 प्रतिशत से अधिक रोगी 40 साल से कम उम्र के होते हैं।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल, वैशाली के सर्जिकल ओन्कोलॉजी की निदेशक डॉ. गीता कद्यप्रथ ने कहा, ''वैशाली के मैक्स हाॅस्पिटल में हाल में किए गए एक आडिट के अनुसार, 2018 में, यहां स्तन कैंसर के 450 से अधिक नए मामले पंजीकृत किए गए हैं और 150 से अधिक मामलों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। सभी नए मामलों में, 10-20 प्रतिशत मामलों में पारिवारिक इतिहास और आनुवांशिक उत्परिवर्तन जिम्मेदार पाये गये हैं, जबकि 80-90 प्रतिशत मामलों में इसके स्पष्ट कारणों का पता नहीं चलता है। अस्पताल आने वाले मरीजों में लगभग 40-60 प्रतिशत मामलों की पहचान दूसरे चरण में की गई। सबसे अच्छी बात यह है कि कैंसर के शुरुआती चरण में ही पता चल जाने पर इलाज के अच्छे परिणाम हासिल होते हैं जो कि स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता से ही संभव हो सकता है।“
जागरूकता पैदा करने और लोगों को सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान करने के लिए, मैक्स हाॅस्पिटल, वैशाली ओन्कोलॉजी के लिए एक समर्पित टावर का निर्माण करेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह सबसे बड़ा कैंसर केंद्र होगा। नए टावर में भूमि तल पर स्त्री रोग और स्तन कैंसर के लिए एक समर्पित महिला ओन्कोलॉजी सेंटर होगा। केंद्र में 100 बेड वाली ओन्कोलॉजी समर्पित सुविधा और 10 रोग प्रबंधन समूह (डीएमजी) के साथ छह अत्याधुनिक ओन्कोलॉजी समर्पित ऑपरेशन थिएटर होंगे।
युवा भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि के लिए वंशानुगत के अलावा, निश्क्रिय जीवनशैली, शराब का सेवन, धूम्रपान, युवाओं में मोटापे का बढ़ना, तनाव और खराब आहार जैसे कई अन्य जोखिम कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
डॉ. गीता ने कहा, “स्क्रीनिंग से कैंसर की पहचान करने और शुरुआती चरण में ही कैंसर के निदान के कारण, स्तन कैंसर से ग्रस्त मरीजों की जीवित रहने की दर भारत के मुकाबले विकसित देशों में 3 गुना अधिक है। स्तन कैंसर जीवन शैली की बीमारी अधिक है। खाद्य पदार्थों में कीटाणुनाशकों और कीटनाशकों के अनियमित उपयोग और इनका सेवन और जल प्रदूषण को सभी प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होने का अनुमान लगाया गया है। वायु प्रदूषण और वायु में छोटे कणों (पार्टिकुलेट मैटर्स) में वृद्धि के कारण भी कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। अब हम स्तन कैंसर से पीड़ित 40 साल से भी कम उम्र की अधिक युवा महिलाओं को देख रहे हैं। स्तन कैंसर के सभी रोगियों में 12-15 प्रतिषत महिलाएं 40 साल से कम उम्र की होती हैं।''
ग्लोबैकन 2017 द्वारा हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर दुनिया भर में सबसे ज्यादा है। पिछले दशक में, स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है, लेकिन कैंसर देखभाल में जागरूकता, पहुंच और सोच के बदलने के कारण, मृत्यु दर धीरे-धीरे नीचे आ गई है।
स्तन कैंसर की शुरुआती अवस्था में पहचान के लिए लोगों के बीच अधिक से अधिक जागरूकता पैदा की जानी चाहिए क्योंकि इसकी पहचान में देरी होने पर बीमारी बढ़ सकती है। कैंसर के मेटास्टैटिक या उन्नत चरणों में, इलाज करना संभव नहीं हो सकता है लेकिन अच्छा नियंत्रण करना अक्सर संभव होता है।