भारत में रोबोटिक सर्जरी अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में ही है। भारत में अभी करीब आठ रोबोट स्थापित किये गये हैं, जिनमें से नई दिल्ली में पांच, चेन्नई में एक, नाडियाड में एक और पुणे में एक रोबोट स्थापित किये गये हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भारत में रोबोट क्रांति के मामले में सबसे आगे रहा हैभारत में पहली रोबोटिक प्रोस्टेटक्टॉमी जुलाई, 2006 में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में की गई थी। तब से रोबोट की मदद से 200 से अधिक लैप्रोस्कोपिक रैडिकल प्रोस्टेटक्टॉमी सफलतापूर्वक की गई है। इंडियन जर्नल आफ यूरोलॉजी में रोबोटिक प्रोस्टेटक्टॉमी के पहले 190 मामलों के परिणाम के विश्लेषण प्रकाशित हुए और इन विश्लेषणों में इनकी उत्कृष्टता, सफलता दर, परिणाम आदि समकालीन पश्चिमी देशों के बराबर पाये गये।
भारत में रोबोटिक सर्जरी की भावी संभावना के बारे में नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. राजू वैश्य कहते हैं कि हालांकि विकसित देशों में पिछले कुछ दशकों से रोबोट शल्य क्रियाओं में सर्जन की मदद कर रहे हैं लेकिन भारत के केवल कुछ अस्पतालों में ही रोबोटिक सर्जरी का सीमित इस्तेमाल शुरू हुआ है और मुख्य तौर पर इनका इस्तेमाल मूत्र रोग विशेषज्ञों, जनरल सर्जनों और स्त्री रोग सर्जनों द्वारा मुख्य तौर पर पेट की सर्जरी के लिया किया जा रहा है। हालांकि अब आर्थोपेडिक सर्जन भी जोड़ों को बदलने (ज्वाइंट रिप्लेसमेंट) के ऑपरेशनों में इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। ज्यादातर अस्पतालों में सामान्य चिकित्सा कार्यों में रोबोट का सीमित इस्तेमाल होने का कारण इसका अधिक मंहगा होना हैअगर सरकार कुछ सब्सिडी या कर संबंधी छूट प्रदान करे तो अधिक अस्पतालों के लिए रोबोटिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करना संभव हो सकेगा। इसके अलावा भारत की कंपनियों को भी रोबोटिक प्रणालियां बनाने में आगे आना चाहिए।
लैपरोस्कोपी सर्जरी के लिए रोबोटिक प्रणाली का इस्तेमाल करने वाले इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के मिनिमली एक्सेस सर्जरी एवं रोबोटिक, बैरिएट्रिक एवं थोरोस्कोपी सर्जरी के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अरूण प्रसाद कहते हैं कि रोबोट समर्थित सर्जरी के भारत के ज्यादातर हिस्सों में इस्तेमाल शरू होने में समय लगेगा क्योंकि यह मंहगी प्रौद्योगिकी है और साथ ही साथ इसका संचालन एवं प्रबंधन का खर्च भी बहुत अधिक है। ऐसे में इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बहुत बड़े सरकारी एवं निजी अस्पतालों में ही होगा। हालांकि रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में काफी अधिक अनुसंधान हो रहा है और उम्मीद है कि भारत के इंजीनियर भी सस्ती रोबोटिक प्रणालियां विकसित करने की चुनौती को स्वीकार करेंगे
डॉ. अरूण प्रसाद के अनुसार पूरे भारत में कुल मिलाकर करीब 30 चिकित्सा केन्द्र रोबोट समर्थित सर्जरी की सुविधा दे रहे हैं। गैस्ट्रोइंटेराइटिस की जटिल सर्जरी, बैरिएट्रिक सर्जरी, प्रोस्टेट कैंसर, वयस्कों और बच्चों में यूरोलॉजी सर्जरी, हिस्टेरेक्टोमी तथा कैंसर सर्जरी में इसका उपयोग हो रहा है।
यूरोलॉजी चिकित्सा में रोबोटिक सर्जरी
एम्स के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. पी एन डोगरा के अनुसार मूत्र विज्ञान के क्षेत्र में रैडिकल सिस्टेक्टॉमी, एंटेरियर पेल्विक एक्सेंटेरेशन, रैडिकल नेफेक्टॉमी, एड्रिनलेक्टॉमी और इलियो इंगुइनल लिम्फ नोड डिसेक्शन जैसी एक्सटिरपैटिव ओंकोलॉजिकल सर्जरी रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी की मदद से की जा रही है। पायलोप्लास्टी, वेसिकोवेजाइनल और यूरेटेरोवेजाइनल फिस्टुली रिपेयर्स जैसी रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी और पायलोलिथोटोमी और यूरेटेरोलिथोटॉमी जैसी स्टोन सर्जरी में भी इनका व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया जाने लगा है। अन्य विशेषज्ञताओं में भी इसके इस्तेमाल की व्यापक संभावनाएं हैंस्त्री रोग विशेषज्ञ भी अब रोबोटिक प्रणाली का इस्तेमाल कर रैडिकल हिस्टेरेक्टॉमी और मायोमेक्टॉमी करने लगी हैं। ईएनटी सर्जन भी परंपरागत ओपन सर्जरी की तुलना में बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए बिनाइन और मैलिग्नेंट लेशन के लिए नैजोफैरिंग्स और ओरो/हाइपोफैरिंक्स में रोबोट–असिस्टेट सर्जरी कर रहे हैं। कई प्रकार की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रक्रियाएं भी रोबोट की मदद से की जा रही हैं। इनमें कोलोरेक्टल सर्जरी, इसोफेगल फंडोप्लिकेशन, पैंक्रियेटिकोड्योडेनल प्रक्रियाएं और बैरिएट्रिक सर्जरी शामिल हैं। कार्डियोथोरेसिक क्षेत्र में टोटली इंडोस्कोपिक कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग, माइट्रल वाल्व की मरम्मत, फेफड़ों का रिसेक्शन, ईसोफेगेक्टॉमी और थाइमेक्टॉमी अब आम हो गए हैं।