भारत में महिलाओं में पित्ताशय का कैंसर पाचन अंगों का सबसे आम कैंसर है


* पित्ताशय के कैंसर की घटनाओं में पिछले कुछ वर्षों में उत्तरी भारत के शहरों में काफी वृद्धि हुई है
* डाक्टरों का कहना है कि आहार, मोटापा और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से बढ़ते हैं इस रोग के जोखिम 




आप क्या हाल में अपने पेट के ऊपर दाहिनी ओर तीव्र दर्द जैसी सनसनी को महसूस कर रहे हैं? क्या आपको बिना किसी स्पष्ट कारण के लिए भूख की इच्छा में कमी महसूस हो रही है या आप पाचन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं? आप बहुत ज्यादा जंक फूड या स्ट्रीट फूड खाते हैं? अगर ऐसा है तो आपको पित्ताशय का कैंसर (जीबीसी) होने का खतरा हो सकता है। यह आपके पाचन तंत्र का एक बेहद घातक कैंसर है। 
वेंकटेश्वर अस्पताल, दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि भारत में पिछले दषक के दौरान, पित्ताशय के कैंसर के मामलों का तेजी से पता चल रहा है, खास तौर पर देष के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में। यह कैंसर देष के उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों - उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम में सबसे अधिक प्रचलित है। लेकिन शायद अधिक चैंकाने वाली बात यह है कि यह बीमारी महिलाओं में अधिक व्याप्त नजर आ रही है। पुरुशों की तुलना में यह महिलाओं में दोगुना अधिक व्याप्त है। आज से दस साल पहले यह कैंसर भारत में दुर्लभ किस्म के कैंसर में गिना जाता था। लेकिन मौजूदा समय में भारत में प्रति एक लाख की आबादी में इसके 7 से 9 मामले दर्ज किए जा रहे हैं। यह भारत में महिलाओं में पाचन तंत्र का सबसे आम कैंसर है।
हास्पीटल के गैस्ट्रो और हेपैटो-पैंक्रिएटो बाइलरी सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. अनुपम साहा कहते हैं, ''पित्ताशय छोटी नाशपाती के आकार का अंग है जो जिगर के नीचे पेट के दांये तरफ स्थित होता है। यह पाचन तरल पदार्थों का संचय करने एवं उसे सान्द्र बनाने में मदद करता है। जब हम भोजन ग्रहण करते हैं तो यह छोटी आंत में प्रवेश करता है। उस समय पित्ताशय सिकृडता है और पित्त उत्सर्जित करता है जो भोजन को आसानी से पचने में मदद करती है। पित्ताशय कैंसर होने पर पेट में दर्द या पीलिया हो सकता है या कोई अस्पष्ट लक्षण हो सकता है जैसे पेट के उपरी हिस्से में अस्पश्ट दर्द या दिक्कत।'' 
पित्त की पथरी पित्ताशय के कैंसर का सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक मानी जाती है। अल्ट्रासाउंड परीक्षण में पुरुषों में पित्त की पथरी की व्यापकता 1.99 प्रतिषत और महिलाओं में 5.59 प्रतिषत पाई गई। अक्सर पित्त की पथरी पित्ताषय के कैंसर के 60 से 90 प्रतिषत मरीजों में मौजूद होती है। 
पित्ताशय का पुराना संक्रमण भी पित्ताशय के कैंसर के बढ़ने के लिए जिम्मेदार है। 
पित्ताशय की पथरी और संक्रमण के अलावा, जीवन शैली संबंधी कारक भी इस रोग के जोखिम कारक माने जाते है। इनमें मोटापा, आहार में फल, सब्जियों और फाइबर की कमी, धूम्रपान और शराब का सेवन आदि शामिल हैं।
डा. अनुपम साहा कहते हैं, ''शहरों में महिलाओं की बात आती है तो मोटापा संभवतः पित्ताशय के कैंसर का सर्वाधिक उल्लेखनीय जोखिम कारक है। मोटापे का संबंध आंत में उल्लेखनीय मेटाबोलिक एवं हार्मोन संबंधी गड़बड़ियों के अलावा पित्त की पथरी के बढ़े हुए खतरे से है जो इस कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। दूसरी तरफ अगर आपके आहार में कम फाइबर, सब्जियां एवं फल हंै तो आपको पित्ताषय के कैंसर का खतरा हो सकता है।'' 
डा. अनुपम साहा कहते हैं, ''पित्ताषय के कैंसर की प्रकृति बहुत ही आक्रामक होती है और दुर्भाग्य से अनेक मरीजों को इस कैंसर के बहुत अधिक बढ़ जाने पर अस्पताल ले जाया जाता है। प्रारंभिक चरणों में पित्ताशय के कैंसर के लक्षण अस्पष्ट होते हैं। इसमें पेट के दायें हिस्से में ऊपर की ओर अस्पष्ट तकलीफ अथवा दर्द हो सकता है। जब यह रोग बढ़ जाता है तो गंभीर स्थिति में पीलिया या गांठ प्रकट हो सकता है। अगर इस बीमारी का पहले पता चल जाए तो पित्ताशय के कैंसर का उपचार संभव हो जाता है। उपचार के तरीकों में लीवर के कुछ हिस्से के साथ-साथ पित्ताशय को शल्य क्रिया के जरिए सर्जिकल रिसेक्षन षािमल है। इसके अलावा दवाओं और रेडियोथेरेपी की सलाह दी जा सकती है।'' 
इसलिए, अगर आपको पित्ताषय के कैंसर के एक या अधिक लक्षण नजर आए तो तत्काल गैस्ट्रो आंत्र सर्जन से सलाह ली जा सकती है जो इमेजिंग और बायोप्सी जैसे आगे के परीक्षणों की सलाह दे सकते हैं।
यहाँ पित्ताशय के कैंसर की रोकथाम के लिए कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं:
- बने-बनाए आहार की जगह पर अनाज एवं साबुत खाद्यान्न से भरपूर स्वस्थ आहार लें। रोजाना फल और सब्जियां खायें तथा वसा के सेवन में कटौती करें। 
- अगर आप 40 साल से ऊपर के हैं तो प्रसंस्कृत खाद्य और लाल मांस के सेवन में कमी लाएं। 
- रोजाना कुछ तरह के व्यायाम करें तथा सक्रिय जीवन जीएं। 
- पेट में दर्द या गांठ जैसे किसी भी बुनियादी लक्षण की उपेक्षा न करें। अगर आपको हैपेटाइटिस संक्रमण हुआ है तो विषेश सावधानी बरतें। 
-  धूम्रपान और अस्वस्थ जीवन शैली छोड़ दंे। यह लगभग सभी तरह के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।