मौजूदा समय में आधुनिक जीवन शैली, मानसिक बीमारियों में बढ़ोत्तरी और अंधविश्वासों के कारण नपुंसकता के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। आम तौर पर नपुंसकता को नामर्दगी का परिचायक माना जाता है जबकि दोनों अलग-अलग स्थितियां हैं। नपुंसकता के शिकार व्यक्ति यौन संबंध के समय अपने लिंग में कड़ापन नहीं ला पाते या लिंग में कड़ापन को पर्याप्त समय तक कायम नहीं रख पाते जिसके कारण हालांकि वे सफलतापूर्वक यौन क्रिया करने में असमर्थ होते हैं लेकिन संतान जनने में समर्थ होते हैं। दूसरी तरफ नामर्दगी के शिकार व्यक्ति यौन क्रिया के दौरान लिंग में पर्याप्त कड़ापन रखने और सफलतापूर्वक यौन क्रिया संपन्न करने में सक्षम रहते हैं लेकिन उनके वीर्य में शुक्राणु या तो नहीं होते हैं या कम होते हैं जिसके कारण वे संतान जनने में असमर्थ होते हैं। इसलिए नपुंसकता का नामर्दगी या संतान जनने की क्षमता के साथ कोई संबंध नहीं है।
नपुंसकता तीन तरह की होती है। प्राथमिक (प्राइमरी) नपुंसकता में व्यक्ति का लिंग शुरू से ही कड़ा नहीं हो पाता है और वह संभोग नहीं कर पाता है। द्वितीयक (सेकेंडरी) नपुंसकता में विवाह के बाद व्यक्ति का लिंग संभोग के पहले तो कड़ा होता है लेकिन कुछ साल के बाद कड़ा नहीं हो पाता है और वह संभोग के समय पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाता है। फैकल्टी नपुंसकता में व्यक्ति वेश्या के साथ तो ठीक से संभोग कर लेता है, लेकिन पत्नी के साथ नहीं कर पाता।
नपुंसकता मुख्यतः शारीरिक (जैविक) या मानसिक (मनोवैज्ञानिक) कारणों से होती है। लगभग 80 फीसदी मामलों में इसके मानसिक कारण जबकि 20 फीसदी मामलों में शारीरिक कारण होते हैं। मानसिक कारणों में तनाव, अवसाद, दुश्चिंता तथा स्ट्रेस के कारण नपुंसकता आ सकती है। इन बीमारियों के कारण स्नायु तंत्र में गड़बड़ी आ जाने के कारण लिंग की रक्त नलिकाओं को समय पर फैलने का संकेत नहीं मिल पाता और इन नलिकाओं में रक्त का बहाव पर्याप्त नहीं हो पाता जिसके कारण लिंग में कड़ापन नहीं आ पाता। धीरे-धीरे व्यक्ति की सेक्स के प्रति अनिच्छा होने लगती है और नपुंसकता हो जाती है।
नपुंसकता के शारीरिक कारणों में मधुमेह या शुगर की बीमारी, हार्मोन संबंधित बीमारियां या गड़बड़ियां और रक्त संचालन संबंधी (वैस्कुलर) बीमारियां मुख्य हैं। शरीर में कुछ हार्मोनों की कमी अथवा अधिकता से नपुंसकता सामान्य बात है। प्रोलेक्टिन, थाइरायड हार्मोन, इंसुलिन और टेस्टोस्टेराॅन हार्मोनों में गड़बड़ी से भी नपुंसकता उत्पन्न हो सकती है। मस्तिष्क की पिट्यूटरी ग्रंथि में बनने वाला प्रोलेक्टिन होर्मोन यौन क्षमता को बरकरार रखने में मुख्य भूमिका निभाता है। पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर होने, दिमागी चोट लगने, कुछ मानसिक रोगों या इन इन रोगों की दवाईयों के सेवन से यह हार्मोन अधिक बनने लगता है जिससे नपुंसकता उत्पन्न होती है। थाइरायड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरोक्सिन हार्मोन की कमी भी नपुंसकता पैदा करती है। पैंक्रियाज ग्रंथि में इंसुलिन हार्मोन के कम अथवा नहीं बनने पर मधुमेह बीमारी हो जाती है। यह नपुंसकता का सबसे सामान्य कारण है। मधुमेह में तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है और रक्त नलिकाएं संकरी हो जाती हैं जिसके कारण लिंग में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं हो पाता है। इनके अलावा अंडकोष में बनने वाला और यौन क्षमता को बरकरार रखने वाला टेस्टोस्टेराॅन हार्मोन की कमी नपुंसकता पैदा करती है। लिंग में रक्त् जम जाने या लिंग में चोट लगने से फाइब्रोसिस हो जाने के कारण भी नपुंसकता आती है।
यौन संचालित रोगों (एस.टी.डी.) और मोटापे का भी नपुंसकता से अप्रत्यक्ष संबंध है। कुछ दवाईयों के दुष्प्रभाव या शराब और नशे की दवाईयों के सेवन से भी नपुंसकता आ सकती है। एथलीटों में स्टेराॅयड दवा के प्रचलन के कारण उनमें नपुंसकता आम बात है। उच्च रक्तचाप और एस.टी.डी. जैसी बीमारियों की कुछ दवाईयां भी नपुंसकता पैदा करती हैं। धूम्रपान और मदिरापान का भी नपुंसकता से गहरा संबंध है।
पुरुषों की भांति महिलाओं में भी धूम्रपान और मदिरापान के बढ़ते प्रचलन के कारण नपुंसकता की घटनायें तेजी से बढ़ रही हैं। महिलाओं में नपुंसकता के शारीरिक कारणों में दुर्बलता, कुपोषण, एनीमिया, मोटापा, मधुमेह और दिल की बीमारियां जबकि मानसिक कारणों में तनाव, दुश्चिंता, अवसाद आदि नपुंसकता को जन्म देते हैं। इनके अलावा महिलाओं में नपुंसकता के पारिवारिक और सामाजिक कारण भी हो सकते हैं। पारिवारिक कलह, पति का उपेक्षित व्यवहार, आर्थिक तंगी, काम का अत्यधिक बोझ, शांत माहौल का अभाव और बेमेल विवाह से भी महिलाओं में सेक्स के प्रति अनिच्छा होने लगती है और वे नपुंसकता से ग्रस्त हो सकती हैं।
जिन परिवारों में सेक्स को गलत नजरिये से देखा जाता है या सेक्स को पाप समझा जाता है, वहां बचपन से ही लड़कियों के मन में इसके प्रति भय हो जाता है और शादी के बाद वे सेक्स में रूचि नहीं ले पाती हैं। महिलाओं के लज्जालु और संकोची स्वभाव होने के कारण यौनेच्छा होने पर वे इसके लिए पहल नही करती हैं और बार-बार यौनेच्छा को दबाने पर उनमें सेक्स के प्रति अनिच्छा होने लगती है और वे नपुंसकता का शिकार हो जाती हैं।
नपुंसकता के शिकार कुछ पुरुषों की शिकायत होती है कि उनका लिंग बायीं तरफ मुड़ा है और इसके कारण वे चिंतित रहते हैं। कुद रोगियों का कहना है कि उनके पेशाब के साथ घात (सफेद द्रव्य) आता है जिसके कारण वे कमजोरी हो गये हैं जबकि कुछ लोगों का कहना है कि संभोग से पहले ही उनका शीघ्रपतन हो जाता है। स्वप्नदोष को लेकर भी लोग चिंतित रहते हैं। हालांकि यह सब सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन जो लोग इसके कारण अधिक सोचते हैं या अधिक परेशान रहते हैं उनमें नपुंसकता अधिक सोचने और तनाव में रहने के कारण होती है न कि शीघ्रपतन, हस्तमैथुन या स्वप्नदोष के कारण।
नपुंसकता के रोगी के इलाज में पहले नपुंसकता के कारण का इलाज किया जाता है। जैसे- शुगर की बीमारी से पीड़ित नपुंसकता के रोगी का शुगर का इलाज करने पर, डिप्रेशन के रोगी में डिप्रेशन का इलाज करने पर या इसी तरह किसी बीमारी से पीड़ित नपुंसकता के रोगी में उस बीमारी का इलाज करने पर या इसी तरह किसी बीमारी से पीड़ित नपुंसकता के रोगी में उस बीमारी के साथ-साथ नपुंसकता भी खत्म हो जाती है। मनोचिकित्सक ऐसे रोगियों का इलाज साइकोथेरेपी और बिहेवियर थेरेपी से करते हैं।