मौजूदा समय में कम्प्यूटरों खास तौर पर लैपटॉप एवं छोटे स्क्रीन वाले कम्प्यूटरों के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ आंखों की एक समस्या तेजी से बढ़ रही है जिसे कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम (सी वी एस) नाम दिया गया है। अध्ययनों के अनुसार कम्प्यूटर पर काम करने वालांं में से 90 से 50 फीसदी लोग कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम, नेत्र तनाव (आई स्ट्रेन) एवं आंखों की अन्य समस्याओं से ग्रस्त हैं।
सुप्रसिद्ध नेत्र विषेशज्ञ तथा नयी दिल्ली के ग्रेटर कैलाष, पार्ट - 2 स्थित एमडी आई केयर एंड लेजर सेंटर के निदेषक डा. अल्केष चौधरी बताते हैं कि कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने वाले तीन चौथाई से अधिक लोग, जिनमें से ज्यादातर 20 साल के हैं, आठ घंटे से अधिक समय तक कम्प्यूटर पर काम करते हैं और ऐसे लोंगों को कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम होने की आषंका बहुत अधिक होती है।
कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम आंखों पर बार-बार स्ट्रेन पड़ने के कारण उत्पन्न समस्या है जो हमारे देष में तेजी से बढ़ रही है। अमरीका में किये गये अध्ययनों के अनुसार वहां कम्प्यूटर पर काम करने वाले सात करोड़ लोगों में से 90 प्रतिषत लोगों को यह समस्या है। भारत में जिस तेजी से कम्प्यूटर पर काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुये आने वाले समय में हमारे देष में भी अमरीका जैसी स्थिति उत्पन्न होने वाली है।
भारत में कितने लोगों को यह समस्या है इसके बारे में कोई सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन अब पहले की तुलना में काफी अधिक संख्या में कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने वाले युवा लोग इस समस्या का इलाज कराने के लिये चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं।
रेटिना, मायोपिया एवं मोतियाबिंद के अलावा कम्प्यूटर जनित नेत्र रोगों की आधुनिकतम चिकित्सा के विषेशज्ञ डा. चौधरी के अनुसार सिर दर्द, आंखों को केन्द्रित करने की क्षमता में कमी, आंखों में जलन, थकी हुई आंखे, एक का दो दिखना, धुंधला दिखना तथा गर्दन एवं कंधे में दर्द कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण हैं। आंखों की ये समस्यायें षारीरिक थकावट बढ़ाती हैं, कार्य क्षमता घटाती हैं तथा काम के दौरान गलतियां बढ़ाती हैं।
प्रमुख आई टी कंपनी में काम करने वाले 26 वर्शीय परितोश रोजाना कम से कम आठ से दस घंटे तक कम्प्यूप्टर पर काम करते हैं। वह कहते हैं, ''हर दिन काम खत्म करने के बाद उन्हें आंखों में जलन एवं खुजलाहट महसूस होती है। कम्प्यूटर पर कुछ देर काम करने के बाद ही ऐसा लगता है कि आंखों के भीतर कोई चीज चली गयी है। इसके कारण मैं सही तरीके से काम नहीं कर पाता। कई बार आंखें बिल्कुल सूखी सी लगती हैं।''
डा. चौधरी बताते हैं कि कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम का मुख्य कारण यह है कि आम तौर पर आंखों की पलकें हर मिनट 15 से 20 बार झपकती हैं लेकिन कम्प्यूटर पर काम करने पर आंखों की पलकें हर मिनट पांच बार ही झपकती हैं। पलकें कम झपकने के कारण आंसू अधिक मात्रा में वाश्पित होता है और आंसू ज्यादा सूखता है जिससे आंखों में नमी एवं चिकनाहट घट जाती है। अांखों में सूखापन के कारण आखों में असुविधा होती है और ऐसा लगता है कि आंखों में कोई चीज चली गयी है।
आम तौर पर कम्प्यूटर पर काम करने वाले ज्यादातर लोग वातानुकुलित वातावरण में बैठकर काम करते हैं और इससे भी आंखों में सूखापन की समस्या बढ़ती हैं इसके अलावा कम्प्यूटर पर काम करने के दौरान आंखों पर अधिक तनाव पड़ता है जिससे आंखें थकी-थकी रहती हैं। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि लोग कम्प्यूटर पर लगातार काम करते हैं और आंखों को विश्राम नहीं देते है।
चिकित्सकों के अनुसार जब आप पास की किसी चित्र या दृष्य पर नजर टिकाते हैं तो आंखों की मांसपेषियां सिकुडती हैं और बार-बार मांसपेषियों के फैलने-सिकुड़ने के कारण आंखों पर दबाव पड़ता है। आखों की मांसपेषियों के सिकुड़ने की प्रक्रिया में सात मांसपेषियां और छह मुख्य क्रैनियल नर्व षामिल होते हैं और इसमें मस्तिश्क की ऊर्जा का करीब 25 प्रतिषत हिस्सा खर्च होता है। आंखों पर लगातार पड़ने वाले इस दबाव के कारण आंखों में थकावट उत्पन्न होती है।
अगर हर दिन आप तीन घंटे से अधिक समय पर कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने रहते हैं तो आपको किसी न किसी हद तक यह समस्या होने की आषंका हो सकती है।
डा. अल्केष चौधरी बताते हैं, ''कम्प्यूटर के कारण नेत्र तनाव और कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम उत्पन्न होने के खतरे को कम करने के लिये वैसे नेत्र चिकित्सक से परामर्ष लेना चाहिये जो कम्प्यूटर से संबंधित दृश्टि समस्याओं की चिकित्सा के मामले के विषेशज्ञ हों। कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम की आरंभिक अवस्था में कम्प्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली चकाचौंध को रोकने वाले षीषे तथा विषेश चष्मे से लाभ हो सकता है। हालांकि लगातार फोकस करने से जुड़ी दृश्टि संबंधी समस्याओं को दूर करने में ये फायदेमंद नहीं हैं।'''
चिकित्सकों का सुझाव है कि कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम तथा नेत्र तनाव की समस्या से बचने के लिये आंखां की पलकें नियमित तौर पर झपकानी चहिये, आंखों की पलकें कुछ देर के लिये बीच-बीच में बंद करने चाहिये, हर आधे घंटे काम करने के बाद कुछ देर आंखों को विश्राम देना चाहिये। इसके अलावा अक्षरों के आकार पढ़े जाने लायक आकार से तीन गुना बड़े रखने चाहिये तथा कम्प्यूटर स्क्रीन को आंखों के लेबल से चार से पांच इंच नीचे रखने चाहिये। इसके अलावा वैसी जगह पर बैठने से परहेज करना चाहिये जहां आंखों पर हवा के तेज झोंके लगें। जिन लोगों की आंखों में सूखापन बहुत अधिक है उन्हें आंखों में नमी एवं चिकिनापन नम बनाये रखने के लिये आई ड्राप एवं आई लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करना चाहिये। बैठने के समुचित तरीके, आंखों को बार-बार झपका कर, तथा आंखों को बीच-बीच में विश्राम देने से इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता हैं।
कम्प्यूटर पर काम करने के दौरान उठने-बैठने की सही मुद्रा अपनाने में मदद मिलती है और इस कारण से कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम से जुडी कुछ षारीरिक समस्याओं को कम किया जा सकता है।