छोटे बच्चों को स्वस्थ शुरुआत करने की जरूरत होती है। छोटे बच्चों के समुचित विकास और स्कूल में अच्छा प्रदर्शन के लिए शारीरिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण कारक है। दो साल की उम्र तक, सभी बच्चों का टीकाकरण कराना चाहिए। चिकित्सक के द्वारा उनके स्वास्थ्य की सालाना जांच करानी चाहिए। यदि वे सर्दी, कान के संक्रमण या फ्लू के कारण बीमार हैं, तो उनका तुरंत और उचित रूप से इलाज कराना चाहिए।
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नियमित जांच आवश्यक होती है। नियमित जांच, या वेल चाइल्ड विजिट न केवल चिंताजनक विकास के मामले में जरूरी है, बल्कि आपके बच्चे के बीमार होने पर यह आपके बच्चे के इलाज में भी प्रभावी है।
बाल रोग विशेषज्ञ के पास बार—बार जाना न सिर्फ बच्चे की सर्वश्रेष्ठ देखभाल के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे आपके बच्चे को डॉक्टर के पास जाने में सहज महसूस करने में भी मदद मिलती है।
बच्चे के स्वास्थ्य की जांच से बच्चे के समग्र स्वास्थ्य को लाभ पहुंचता है। चिकित्सक चेकअप और विभिन्न प्रकार के परीक्षणों के माध्यम से संभावित स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान कर सकते हैं। बचपन की कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को स्वास्थ्य समस्या बनने से पहले ही ठीक किया जा सकता है जिससे बच्चा वयस्क होने पर भी प्रभावित रह सकता है। स्वास्थ्य की जांचए स्वस्थ भोजन का सेवन और नियमित शारीरिक गतिविधि के माध्यम से आप अपने बच्चे को स्वस्थ रहने की आदतें सीखने में मदद कर सकते हैं जिन पर वे जीवन भर अमल कर सकते हैं।
रक्त चाप
आपके बच्चे के रक्तचाप की माप नियमित रूप से होनी चाहिए और इसकी शुरुआत लगभग 3 वर्ष की उम्र से ही हो जानी चाहिए। बच्चों में उच्च रक्तचाप का इलाज कराने की आवश्यकता होती है। यह अंतर्निहित रोग का संकेत हो सकता है। इसका इलाज नहीं कराने पर इसके कारण गंभीर बीमारी हो सकती है। रक्तचाप की माप को लेकर अपने बच्चे के चिकित्सक पर नजर रखें।
पारा
पारा आपके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता हैए शारीरिक और मानसिक वृद्धि को धीमा कर सकता है और शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चों के पारा के संपर्क में आने का सबसे सामान्य तरीका वातावरण में पाये जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थ हैं।
दृष्टि और सुनने की क्षमता
आपके बच्चे की दृष्टि की जांच स्कूल शुरू करने से पहले लगभग 3 या 4 साल की उम्र में हो जानी चाहिए। आपका बच्चा जैसे—जैसे बड़ा होता है उसकी दृष्टि की जांच कराते रहने की आवश्यकता हो सकती है। कुछ अथारिटी 3 से 4 साल की उम्र से ही सुनने की क्षमता की जांच कराने की भी सलाह देते हैं। अगर किसी भी उम्र में आपके बच्चे में नीचे दिए गए किसी भी दृष्टि या श्रवण चेतावनी के संकेत मिलते हैंए तो अपने डॉक्टर से बात अवश्य करें।
टीकाकरण
अपने बच्चे को टीका लगवाना या इम्युनाइज किया जाना उसके स्वास्थ्य देखभाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। टीकाकरण हमें एक्वायर्ड इम्युनिटी प्रदान करता है और इसलिए शिशुओं को अनिवार्य रूप से टीका लगवाना चाहिए।
भारत में महत्वपूर्ण टीकाकरण
बीसीजी (बैसिलस कैल्मेेट ग्युरिन) टीका : तपेदिक एक बहुत ही हानिकारक बैक्टीरिया रोग है। शिशुओं को बीसीजी वैक्सीन लगवाकर इससे सुरक्षित किया जा सकता है। इसे आम तौर पर नवजात शिशुओं के हाथ की बाहरी त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है।
ओपीवी (ओरल पोलियो) वैक्सीन
पोलियोमाइलाइटिस या पोलियो बच्चों और वयस्कों में पक्षाघात का कारण बनता है। इसलिएए ओपीवी एक लाइव एटीन्यूएटेड वैक्सीन है जिसे जन्म के समय सभी बच्चों को दिया जाना चाहिए।
डीपीटी वैक्सीन
डीपीटी वैक्सीन तीन घातक रोगों से रक्षा करता है : डिप्थीरिया, वुफिंग कफ और टेटनस। यह नवजात शिशुओं को इंट्रा मस्कुलर टीका के रूप में दिया जाता है, जब वे डेढ़ महीने, ढाई महीने और साढ़े तीन महीने के होते हैं। जब बच्चे डेढ़ वर्ष के हो जाते हैं, तब उन्हें डीपीटी वैक्सीन की दूसरी खुराक दी जाती है। 5 वर्ष की उम्र में, बच्चों को डबल डीटी वैक्सीन की एक खुराक दी जाती है जिसमें डिप्थीरिया और टेटनस को रोकने के लिए रोगाणु होते हैं। जब बच्चा 10 वर्ष का हो जाता है, तो टेटनस का टीका दोबारा लगाया जाता है।
एमएमआर (मेसल्स मम्प्स रुबेला) वैक्सीन
यह टीका मेसल्स, मम्प्स और जर्मन खसरा के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। भारत में मोनोवैलेंट मेसल्स टीकाकरण की एक खुराक 9 महीने बाद दी जाती है। एमएमआर वैक्सीन की एक और खुराक 12—15 महीने की उम्र में दी जाती है।
हेपेटाइटिस बी वैक्सीन
हेपरेटीस बी वायरस से मुख्य रूप से लीवर प्रभावित होता है। इस प्रकार हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोब्युलिन और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन जन्म के समय बच्चों को दिए जाते हैं, यदि मां एचबीएसएजी या एचबीईएजी वायरस का वाहक हो। जन्म के बाद 6, 10, 14 और 24 सप्ताह में बच्चों को नियमित अंतराल पर हेपेटाइटिस बी वैक्सीन दिये जाते हैं।
दिये जाने वाले टीकाकरण के नाम और बच्चे की उम्र
प्राथमिक टीकाकरण
बीसीजी प्लस ओरल पोलियो — जन्म के समय
ओरल पोलियो प्लस डीपीटी प्लस हेपेटाइटिस बी — 1.5 महीने
ओरल पोलियो प्लस डीपीटी प्लस हेपेटाइटिस बी — 2.5 महीने
ओरल पोलियो प्लस डीपीटी प्लस हेपेटाइटिस बी — 3.5 महीने
खसरा — 9 से 12 महीनों तक
बूस्टर की खुराक
डीपीटी प्लस ओरल पोलियो — 1.5 से 2 साल
डीटी — 5 साल
टेटनस टॉक्साइड (टीटी) — 10 साल
टेटनस टॉक्साइड (टीटी) — 16 साल
विटामिन ए — 9, 18, 24, 30 और 36 महीने
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर रहें सतर्क
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