संतानहीनता के शिकार दम्पतियों के लिए गाइन सर्जनों का एक साफ संदेह है कि आईवीएफ उपचार कराने के लिए जल्दीबाजी नहीं करें। नई दिल्ली स्थित सनराइज अस्पताल की गाइनी लैपरोस्कोपिक सर्जन डा. निकिता त्रेहन ने बताया कि कई वर्षों के अनुसंधान के बाद विकसित फर्टिलिटी इनहैंसिंग सर्जरी नामक नई तकनीक संतानहीन दम्पतियों को संतान सुख प्रदान करने में मददगार सबित हो रही है।
डा. निकिता त्रेहन बताती हैं कि जर्नल आफ फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि जिन महिलाओं को आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) उपचार से कोई लाभ नहीं हुआ वे लैपरोस्कोपिक उपचार कराने के बाद गर्भधारण करने में सक्षम हो गईं।
डा. निकिता त्रेहन के अनुसार इन दिनों गर्भधारण की कोशिश करने वाली 25 से 30 प्रतिशत दम्पत्ति गर्भधारण करने में विफल हो जाते हैं। इसके तुरंत बाद वे आईवीएफ ;टेस्ट ट्यूब बेबीद्ध उपचार कराने लगते हैं। देश में फर्टिलिटी इनहैंसिंग सर्जरी के बारे में जागरूकता के अभाव में वे ऐसा करते हैं। आईवीएफ (टेस्ट ट्यूब बेबी) की तुलना में फर्टिलिटी इनहैंसिंग सर्जरी का लाभ यह है कि प्रजनन अंगों में मौजूद मूल असामान्यताओं को इस सर्जरी के जरिए ठीक कर दिया जाता है और इसके कारण महिला (रोगी) आईवीएफ के बगैर ही स्वभाविक रूप से गर्भ धारण करने में सफल हो जाती हैं। आईवीएफ उपचार न केवल अधिक महंगा होता है बल्कि यह दम्पत्तियों के लिए तनावपूर्ण भी है। इसमें हर गर्भावस्था के लिए बार—बार आईवीएफ किया जाना आवश्यक होता है इसलिए आईवीएफ को अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।
फर्टिलिटी इनहैंसिंग सर्जरी लैप्रोस्कोपी की मदद से की जाती है। इससे बांझपन के कारणों का इलाज होता है और प्राकृतिक तौर पर या फर्टिलिटी उपचार की मदद से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है। अन्य तरह के आपरेशनों की तुलना में यह तकनीक संतानहीन दम्पत्तियों के लिए यह वरदान के समान है। इस तकनीक से सर्जरी करने पर मरीज को केवल एक दिन अस्पताल में रहना पड़ता है, कम दर्द होता है तथा नहीं के बराबर चाय की एक चम्मच से भी कम का रक्त का नुकसान होता है और यह कम खर्चीली हैं।
जिन स्थितियों में फर्टिलिटी इनहैंसिंग सर्जरी मदद करती है वे इस प्रकार हैं :
1. ट्यूबल केन्युलेशन — जब ट्यूब बंद हो गए हो तो करीब 60 से 70 प्रतिशत मामलों में इन ट्यूबों को बहुत पतली तारों की मदद से खोला जा सकता है। जिन महिलाओं में ट्यूब स्थाई तौर पर बंद हो गए हों उन्हें आईवीएफ उपचार के लिए जाना चाहिए।
2. एंडोमेट्रिओसिस — सैडविच थेरेपी का उपयोग करके सभी असामान्यताओं का इलाज किया जा सकता है। मरीज को छह महीने के लिए हार्मोनल थेरेपी दी जाती है जिसके बाद रिलुक लैपरोस्कोपी की जाती है। कई फैलोअप के बार हमने पाया है इस उपचार के बाद गर्भधारण करने की संभावना 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती ह जबकि अन्य स्थितियों में गर्भधारण की संभावना केवल 10—15 प्रतिशत ही होती है।
3. फाइब्रॉएड — लुआल तकनीक का उपयोग करते हुएए फाइब्रॉएड को न केवल हटाया जा सकता है बल्कि उन्हें दोबारा होने से रोका जा सकता है। इस तकनीक से उपचार कराने वाली महिलाओं में गर्भधारण की संभावना सामान्य महिलाओं के बराबर हो जाती है।
4. पीसीओडी — अगर उपचार का कोई फायदा नहीं होता है तो पीसीओडी ड्रिलिंग (बढ़े हुए अंडाशय की) से गर्भधारण की संभावना काफी बढ़ जाती है।