नागिन की तरह बल खाते लंबे काले घने बाल नारी की अनमोल नेमत हैं लेकिन रूसी जैसी सामान्य सी प्रतीत होने वाली समस्या बालों के असमय झड़ने का कारण बन सकती है। रूसी की समस्या हालांकि महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी होती है लेकिन लंबे बाल के कारण महिलाओं को यह समस्या अधिक होती है। सिर की नियमित सफाई नहीं होने तथा बालों में अनावश्यक रूप से तेल लगाने से यह समस्या बढ़ती है।
रूसी एक प्रकार की निर्जीव त्वचा है जो बालों की जड़ों के आसपास जमा हो जाती है। इससे सिर में फुंसियां हो जाती हैं। इन फुंसियों को खुजलाने से संक्रमण होते हैं और बाल असमय गिरने लगते हैं।
बाल के साथ ही एक ग्रंथि होती है जो तेल बनाती है जिसे सीवम कहते हैं। सीवम एक ऐसा तैलीय पदार्थ है जो हमारी त्वचा को मुलायम और चिकना रखता है। जिन लोगों में ये तैलीय ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं उनमें तैलीय पदार्थ सफेद मवाद के रूप में त्वचा के ऊपर आकर जम जाते हैं और यह सूखकर झड़ने लगते हैं। इस अवस्था को सबोरिया कहा जाता है।
तैलीय ग्रंथियों की सक्रियता व्यक्ति की आयु पर भी निर्भर करती है। किशोरावस्था से वयस्क होने तक हारमोन के प्रभाव के कारण तैलीय ग्रंथियों की सक्रियता अधिक रहती है इसलिए 15-20 साल की उम्र में तैलीय ग्रंथियां अधिक सक्रिय रहती हैं और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इनकी सक्रियता कम होती जाती है। कुछ लोगों की त्वचा थोड़ी खुश्क होती है तो कुछ लोगों की मुलायम होती है। इसी तरह कुछ लोगों में सीवम का स्राव अधिक होता है। खुश्क त्वचा वाले लोगों तथा जिन लोगों में सीवम का स्राव अधिक होता है उनमें यह समस्या अधिक होती है।
सिर के ऊपर तैलीय ग्रंथियों से अधिक सीवम निकलने की स्थिति में सिर में खुजली होने लगती है। सिर खुजलाने पर अंदर से सफेद रंग का छिलका जैसा पदार्थ निकलता है। जब हम सिर खुजलाते हैं तो हमारी सिर की त्वचा छिल जाती है और हमारे नाखून के नीचे का जीवाणु उस घाव से त्वचा के अंदर घुसकर वहां पनपने लगता है और संक्रमण फैलाता है जिससे वहां फुंसियां निकल आती हैं। फुंसियों से पानी सा चिपचिपा पदार्थ सीवम निकलकर वहां फैल जाता है। सीवम में अधिक मात्रा में प्रोटीन होते हैं इसलिए वहां जीवाणुओं को पनपने का अधिक मौका मिलता है। त्वचा में संक्रमण होने पर वहां खुजली, लाली तथा शोथ हो जाता है और यह अब बीमारी का रूप ले लेता है। इसे सबोरिक डर्मोडाइटिस कहते हैं। सिर को बार-बार नहीं धोने या इसको खुजलाते रहने पर इसकी तीव्रता बढ़ जाती है। इसका इलाज कराना आवश्यक होता है वरना यह दाढ़ी, छाती, पीठ और जननेन्द्रिय के बाल के आस-पास भी फैल जाता है जिससे व्यक्ति को बहुत परेशानी होती है।
हमारे देश में लोगों को भ्रांति है कि त्वचा से कोई चीज निकलने पर उसे दबा देना चाहिए। इसलिए सिर में खुश्की होने पर लोग तेल लगाने की सलाह देते हैं। लेकिन तेल लगाने से खुजली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और रूसी वहां बैठ जाती है जिससे खुजली अधिक होने लगती है और शोथ भी बढ़ जाता है। इसलिए सिर में खुजली होने पर बार-बार सिर धोना अत्यंत आवश्यक है।
रूसी की बीमारी आनुवांशिक नहीं है लेकिन सिर में मवाद आने पर व्यक्ति जो कंघी इस्तेमाल करता है अगर उस कंघी का इस्तेमाल दूसरा व्यक्ति भी कर लेता है तो उसे भी संक्रमण होने की संभावना हो जाती है। आम जनसंख्या में यह बीमारी तीन से पांच प्रतिशत लोगों को होती है। लेकिन जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनमें इसकी तीव्रता अधिक होती है। दिमागी बीमारियों तथा मानसिक तनाव वाले लोगों में भी यह ज्यादा देखी जाती है। शराब, चाय और कॉफी का अधिक सेवन करने वाले लोगों में भी यह समस्या अधिक रहती है। ये सब चीजें हमारी तैल ग्रंथियों को अधिक तेल उत्पन्न करने के लिए उत्तेजित करती हैं।
तैलीय ग्रंथियां बाल की जड़ से संबंधित रहती हैं इसलिए इसमें किसी प्रकार का संक्रमण होने पर यह बाल की जड़ को कमजोर कर देती है जिससे बाल झड़ने लगते हैं और बालों की चमक चली जाती है। सिर में संक्रमण सतही तौर पर होने पर बाल दोबारा उग आते हैं लेकिन ज्यादा गहरा संक्रमण होने पर बाल दोबारा नहीं उगते हैं। यह गंजेपन का भी कारण हो सकता है।
इस बीमारी का सबसे सरल और आसान उपचार सिर को साफ रखना है। लंबे बाल वाली महिलाओं को रूसी अधिक होती है क्योंकि उनके बाल के जड़ ठीक से साफ नहीं हो पाते। सिर को साफ करने के लिए किसी विशेष प्रसाधन की आवश्यकता नहीं है बल्कि नहाने के किसी भी साबुन से सिर साफ किया जा सकता है। साबुन या शैम्पू में सिर्फ इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वह सिर की त्वचा पर जमे पदार्थ को निकाल सके और बालों को नुकसान नहीं पहुंचाये क्योंकि अगर उसमें घुलाने की क्षमता अधिक होगी तो बाल भी घुलने लगेंगे। इसलिए कई शैम्पू के प्रयोग से हमारे बाल रूखे हो जाते हैं, टूटने लगते हैं और बालों की चमक चली जाती है। सिर में रूसी या खुश्की ज्यादा होने पर सिर में शैम्पूलगाकर 4-5 मिनट तक उसे लगा ही रहने देना चाहिए, उसके बाद बाल ठीक से धो लेना चाहिए। सेल्सन शैम्पू से बाल धोने से रोगी को अधिक फायदा हो सकता है क्योंकि इसमें सैलिनियम सल्फाइड नामक रसायन होता है। इस रसायन में त्वचा के ऊपर जमे पदार्थों को हटाने और खोलने की क्षमता होती है। लेकिन इस शैम्पू का प्रयोग अधिक मात्रा में करने पर बाल रूखे हो सकते हैं और बालों की चमक खत्म हो सकती है।
अगर बीमारी अधिक बढ़ गयी है तो किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह से एंटीबायोटिक दवा ली जा सकती है। चिकित्सक सिर में लगाने के लिए एंटीबायोटिक दवा या क्रीम भी दे सकते हैं। लाली अधिक रहने पर स्टेरॉयड, क्रीम या लोशन लगाने की सलाह दी जाती है। इससे रोगी को काफी फायदा होता है।
रूसी से ग्रस्त लोगों को शराब, चाय, कॉफी, टॉफी-चॉकलेट, मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और तीखी कंघी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।