भारत अमरीका और चीन के बाद दुनिया में रक्त कैंसर के सबसे अधिक रोगियों वाला तीसरा देष है और भारत में 2018 में रक्त कैंसर के 1.17 लाख नए मामले सामने आने की संभावना है
भारत को अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और इस कारण यहां हर साल सिर्फ 700 प्रत्यारोपण ही किये जाते हैं जबकि 30 हजार रोगियों को हर साल बीएमटी की आवश्यकता होती है
रिफ्रैक्टरी रक्त कैंसर के रोगियों में लंबे समय तक जीवित रहने के लिए अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण ही एकमात्र इलाज है
भारत में थैलेसीमिया से गंभीर रूप से प्रभावित 65000 -67000 रोगी हैं और हर साल थैलेसीमिया के 9000- 10000 नए मामलों का पता चल रहा है
अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण एक गैर शल्य प्रक्रिया है जिसमें क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त अस्थि मज्जा के स्थान पर स्वस्थ अस्थि मज्जा स्टेम कोशिकाओं को प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। यह जटिल प्रक्रिया भारत में कुछ ही अस्पतालों में की जाती है, लेकिन भारत में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की सफलता दर अंतरराष्ट्रीय सफलता दर के बराबर है। उन्होंने कहा कि भारत अमरीका और चीन के बाद दुनिया में रक्त कैंसर के सबसे अधिक रोगियों वाला तीसरा देष है और भारत में 2018 में रक्त कैंसर के 1.17 लाख नए मामले सामने आने की संभावना है।
अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण आमतौर रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित करने वाले कुछ प्रकार के कैंसर और कुछ प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। अमेरिका में हर बड़े शहर में 2-3 बीएमटी केंद्र हैं और इस प्रकार देश भर में लगभग 150-200 केन्द्र हैं। इसके विपरीत, भारत में अमरीका की तुलना में पांच गुना जनसंख्या होने के बावजूद अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की सुविधा वाले कुछ ही अस्पताल हैं। और इस तरह से भारत में ज्यादातर मरीजों की मौत रक्त कैंसर से नहीं होती बल्कि उपचार के इंतजार करने के कारण होती है। एक और विडंबना यह है कि भारत की 125 करोड़ की आबादी पर 100 से भी कम ऐसे कैंसर विशेषज्ञ है जो बीएमटी के लिए प्रशिक्षित हैं।''
अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए प्रमुख संकेत हैं: थैलेसेमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, एक्यूट ल्यूकेमिया, सिकल सेल एनीमिया, लिम्फोमा, मल्टीपल माइलोमा और माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम।
अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण रिफ्रैक्टरी रक्त कैंसर के रोगियों में लंबे समय तक जीवित रहने के लिए एकमात्र इलाज है क्योंकि इन रोगियों को कीमोथेरेपी दवाओं से कोई फायदा नहीं होता है। भारत में थैलेसीमिया से गंभीर रूप से प्रभावित 65000 -67000 रोगी हैं और हर साल थैलेसीमिया के 9000- 10000 नए मामलों का पता चल रहा है और थैलेसीमिया के इलाज के लिए बीटीएम सबसे उपयुक्त इलाज है। बीएमटी प्रक्रिया में, रोग ग्रस्त या क्षतिग्रस्त अस्थि मज्जा (हड्डियों की गुहाओं में मौजूद रक्त बनाने वाला नरम, स्पंजी ऊतक) को ज्यादातर भाई / बहन और माता-पिता जैसे खून के रिश्तों के स्वस्थ अस्थि मज्जा से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है।
अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की जरूरत क्यों होती है?
अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण का मुख्य उद्देश्य विभिन्न रोगों और कैंसर का इलाज करना है। इसकी जरूरत तब भी पड़ सकती है जब किसी व्यक्ति की अस्थि मज्जा किसी बीमारी या कैंसर के लिए रेडियेशन या कीमाथेरेपी के गहन उपचार के कारण क्षतिग्रस्त या नश्ट हो जाती है। अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण का इस्तेमाल निम्न स्थितियों में किया जा सकता है:
— गैर क्रियाशील अस्थि मज्जा को स्वस्थ क्रियाशील अस्थि मज्जा से प्रतिस्थापित करना। यह आम तौर पर ल्यूकेमिया, अप्लास्टिक एनीमिया, और सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों में किया जाता है।
— जब मलिग्नन्सी के इलाज के लिए कीमोथेरपी या रेडियेषन की अधिक मात्रा दी जाती है जब अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण किया जाता है और उसके बाद यह सामान्य रूप से कार्य करने लगता है। यह प्रक्रिया लिंफोमा, न्यूरोब्लास्टोमा और स्तन कैंसर जैसे रोगों के इलाज के लिए की जा सकती है।
— हर्लर सिंड्रोम और अड्रेनोल्यूकोडिस्ट्राॅफी जैसी आनुवांशिक बीमारी प्रक्रिया को रोकने के लिए अस्थि मज्जा को प्रतिस्थापित किया जाता है।
बीएमटी का तुलनात्मक खर्च - भारत बनाम पश्चिमी देश (अमरीकी डालर में) | |||
| आटोलोगस बीएमटी | एनोजेनिक बीएमटी | हैप्लोआइडेंटिकल बीएमटी |
अमेरिका | 200000 | 250000 | 300000 |
भारत | 15000 | 30000 | 35000 |
यूरोप | 200000 | 250000 | 300000 |