अधिक उम्र के लोगों में अंधेपन का कारण बन सकता है मोतियाबिंद

मोतियाबिंद क्या है?
मोतियाबिंद में आंख की आईरिस और पुतली के पीछे स्थित आंख की प्राकृतिक लेंस पर झाई हो जाती है। यह 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दृष्टि हीनता का सबसे आम कारण है और दुनिया में अंधापन का प्रमुख कारण है।
मोतियाबिंद क्यों होता है?
मोतियाबिंद तब होता है जब आंख की लेंस में प्रोटीन जमा होकर इसे धुंधला बना देता है। यह दृष्टि को कुछ नुकसान पहुंचाते हुए प्रकाश को लेंस के माध्यम से स्पष्ट रूप से गुजरने से रोकता है। लेंस के बाहर नयी लेंस कोशिकाएं बन जाती हैं और पुरानी कोशिकाएं लेंस के केन्द्र में जमा हो जाती हैं और मोतियाबिंद बनाती हैं। 
इसके लक्षण क्या हैं?
— धुँधली, धूमिल, या अस्पश्ट दृष्टि
— अधिक उम्र के लोगों में प्रोग्रसिव नीयरसाइटेडनेस (मायोपिया), जिसे अक्सर 'दूसरी दृष्टि' कहा जाता है। हालांकि उनकी दूर की दृष्टि खराब होने के बावजूद, उन्हें लंबे समय तक पढ़ने के चश्मे लगाने की जरूरत नहीं पड़ सकती है।
— रंगों को देखने के तरीकों में परिवर्तन
— रात में गाड़ी चलाने में समस्या होना, जैसे आनेवाली गाड़ी के हेडलाइट्स का चमकना
— दिन के दौरान चमक से समस्या होना
— दोहरी दृष्टि
— आपके चश्मे के नंबर में अचानक परिवर्तन
कैसे करें इसकी पहचान?
नेत्र चिकित्सक आंख का परीक्षण कर बता देंगे कि आप कितनी अच्छी तरह से देख सकते हैं। आपके चिकित्सक लेंस और आंख के अन्य भागों की जांच करने के लिए आपकी आंख की पुतली को चौड़ा करेंगे।
इलाज
यदि आपकी दृष्टि चश्मे या कांटैक्ट लेंस से सही नहीं की जा सकती है और मोतियाबिंद आपके दैनिक जीवन में बाधा उत्पन्न कर रहा है, तो आपको मोतियाबिंद सर्जरी की जरूरत हो सकती है। मोतियाबिंद सर्जरी आम तौर पर आउट पेशेंट आधार पर की जाती है और दृष्टि को बहाल करने में यह काफी सफल साबित होती है। सर्जन आपके लेंस को निकालता है और इसकी जगह एक स्पष्ट कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित कर देता है।
नवीनतम उपचार: फेमटोसेकंड लेजर असिस्टेड कैटेरेक्ट सर्जरी
फेमटोसेकंड लेजर रोगी को माइक्रोन स्तर की सटीकता, सुई रहित, ब्लेड-रहित सर्जरी उपलब्ध कराता है और मोतियाबिंद की सर्जरी में यह सबसे अधिक सफल साबित हुई है। इससे एक पिन के चुभने जितने चीरे के माध्यम से लेंस को निकाला जा सकता हैै और यह वर्तमान मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा तकनीकों से कहीं अधिक सुरक्षित और बेहतर है।
इस नई तकनीक में, रोगी की दृष्टि में तेजी से सुधार होता है क्योंकि इसमें कम अल्ट्रासाउंड ऊर्जा होती है, और आंख में सूजन कम होती है।