विकसित और विकासशील दोनों देशों में सभी बीमारियों के बोझ का एक तिहाई हिस्सा मस्तिष्क से संबंधी बीमारियों का है। मस्तिष्क संबंधी विकारों में न्यूरोलॉजिकल और मानसिक बीमारियां दोनों शामिल हैं और इन बीमारियों में गंभीर चिंता वाले विकार हैं उम्र-संबंधी विकार गंभीर डिमेंशिया जिनमें अल्जाइमर रोग (एडी) और पार्किंसंस रोग (पीडी) आदि षामिल हैं। ये विकार समय के साथ बढ़ने वाले और अपरिवर्तनीय हैं और इन विकारों के एटिओपैथोजेनेसिस को ठीक से समझा नहीं गया है। इन विकारों में मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों के भीतर विशिष्ट कोशिकाओं की क्षति हो जाती है जिसके कारण कामकाज संबंधी कुछ खास अक्षमता विकसित होती है।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर के सेंटर फार न्यूरोसांइस के वैज्ञानिक प्रोफेसर वी रविंद्रनाथ ने अपने शांति स्वरूप भटनागर पदक व्याख्यान में बताया कि उनके शोध को परम्परागत चिकित्सा के ज्ञान आधार में से ऐसे अणुओं की पहचान करने तथा रोगों का उपचार करने वाली थिरेपी के लिए उपयोग में लाए जा सकने वाले लक्ष्यों की पहचान करने के उद्देश्य से चुनी गई कोशिकाओं की मौत में निहित आण्विक तंत्रों को समझने के लिए केन्द्रित किया गया। पार्किंसन धीरे-धीरे बढ़ने वाला गति संबंधी विकार है जो मुख्य तौर पर स्वैस्टैंषिया निगरा (एसएनपीसी) में डोपोमाइनरेजिक न्यूराॅन्स की मौत के कारण पैदा होता है।
हमने कोशिका विशिष्ट मृत्यु के मौत संकेतन पाथवे और कोशिका जीविका पाथवे के डाउन रेगुलेशन के रेडॉक्स संचालित सक्रियता की पहचान की है जिससे जिससे पार्किंसंस रोग के रोगजनन में मदद मिल सकती है और जो क्लिनिकल ट्रायल में औशधि निश्क्रिय हो जाने के बारे में जानकारी दे सकता है।
आयुर्वेद जैसी पारम्परिक चकित्सा प्रणाली वैसे ज्ञान का आधार प्रदान करती है जिसका इस्तेमाल इस बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सीय हस्तक्षेप रणनीतियों के विकास के लिए हो सकता है। आयुर्वेद से ज्ञान के आधार का उपयोग करते हुए, हमने एक हर्बल सार की पहचान की है जो अल्जाइमर रोग (एडी) की पैथोलॉजी को उलट देता है। इस सार के उल्लेखनीय उपचारात्मक प्रभाव को लीवर में कम घनत्व वाले लाइपो प्रोटीन रिसेप्टर संबंधी प्रोटीन (एलआरपी) को देखा जा सकता है और इससे यह संकेत मिलता है कि पेरीफरी को लक्षित करने से अल्जाइमर्स रोग में प्रकट होने वाली व्यवहारात्मक क्षति तथा पैथोलाॅजी को उलटने के लिए एमिलाॅयड पेप्टिाइड को तीव्रता से नश्ट करने का एक अनूठा तंत्र प्रस्तुत हो सकता है।
आयुर्वेद की मदद से मस्तिष्क की कोशिकाओं की मौत क्या रोकी जा सकती है
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