आप भी पा सकती हैं स्वस्थ सुंदर बाल

घने, रेशमी, स्वस्थ और सुंदर बाल नारी का आकर्षण हैं। सुंदर बालों की अभिलाषा प्रत्येक नारी के मन में होती है, जिसे पाने के लिए वह तरह-तरह के तेल, शैंपू और सौंदर्य प्रसाधन इस्तेमाल करती हैं। बचपन से ही उसे मां, बुआ, दादी-नानी से तरह-तरह की ताकीद मिलती है कि बालों को सुंदर, घना, मुलायम और लंबा बनाने के लिए किन-किन बातों पर ध्यान देना जरूरी है। लेकिन यह जानकारी उसे कोई नहीं देता कि शरीर के अन्य अंगों के समान बालों में किस समय कौन से परिवर्तन आना स्वभावगत है ताकि उसका मन उन्हें समझ सके और परेशान न हो।


मनुष्य के सिर पर तकरीबन एक लाख बाल पाये जाते हैं। प्रत्यक बाल की जड़ त्वचा में दबी होती है। सिर के बाल हर रोज 0.35 मिलीमीटर की दर से बढ़ते हैं। एक महीने में उनकी लंबाई आधा इंच बढ़ जाती है। लेकिन वृद्धि का यह दौर औसतन दो से छह वर्ष तक चलता है, फिर बाल आराम फरमाने लगते हैं। विश्राम का दौर चंद महीने का होता है, लेकिन इस बीच बालों की ताकत घट जाती है और वे आसानी से गिर जाते हैं। लेकिन आमतौर पर किसी एक समय पर सिर के 10 प्रतिशत बाल ही विश्राम की अवस्था में पहुंचते हैं और उनमें से भी कई गिरने से बच जाते हैं। जितने गिरते हैं, उतने नए उग आते हैं, जिससे सिर गंजा नहीं होता।


किसी स्त्री के बालों की लंबाई कहां तक पहुंचेगी, यह उसकी आनुवांशिकी पर निर्भर करता है। कई लागों को यह आनुवांशिक गुण प्राप्त होता है कि उनके बाल दो से छह वर्ष की बजाय लगातार 25 वर्ष तक बिना रोक-टोक बढ़ते रहते हैं और इसलिए घुटनों से नीचे तक पहुंच जाते हैं। इसके ठीक विपरीत कुछ लोगों में बालों के बढ़ने का दौर बहुत छोटा होता है, जिससे उन्हें यह लगता है कि उनके बाल सदा झड़ते ही रहते हैं। इस स्वभावगत बाल से मुक्त हो पाना न तो किसी के हाथ में है, न किसी केश-तेल, औषधि या वनस्पति से संभव है। किसी परिवार में यदि पीढ़ी-दर-पीढ़ी लंबे बाल होते आए हैं, तो इसका श्रेय उनके जीन को जाता है न कि किसी खास केश तेल को, जो संयोग से उस परिवार में इस्तेमाल होता रहा है।


बाल धोने और कंघी करने पर 10-15 बालों का गिरना मन को प्रायः शंकित कर देता है कि शायद बालों की तंदुरूस्ती अच्छी नहीं। यह चिंता बिल्कुल अनावश्यक है। सामान्य व्यक्तियों में एक दिन में 20 से 100 बाल भी झड़ सकते हैं।


शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी बालों की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। प्रसूति, ऑपरेशन, बीमारी और मानसिक कष्ट की स्थिति से गुजरने के दो-तीन महीने बाद अचानक बहुत सारे बाल एक साथ गिर सकते हैं। यह दौर प्रायः तीन से छह महीने बाद खुद समाप्त हो जाता है और बालों का बढ़ना और झड़ना फिर से पुरानी लय पर लौट आता है। कुछ दवाएं खासकर ऐंटीकुएगुलेंट (रक्तजमाव-रोधी) तथा ऐंटीकैंसर (कैंसर-रोधी) औषधियां के सेवन से भी मरीज के सिर के बाल अचानक तेजी से झड़ने लगते हैं। बढ़ी हुई सिफलिस और हार्मोनल प्रणाली के कुछ गंभीर विकारों में भी बाल झड़ने की परेशानी अचानक पैदा हो सकती है। मस्तिष्क कैंसर के रोगियों में स्थानीय विकिरण चिकित्सा दिए जाने पर भी बालों का उड़ जाना सामान्य है। बालों के रंग के संबंध में भी हमारे समाज में अनेक अंधविश्वास व्याप्त हैं। सच्चाई यह है कि बालों का रंग भी हमारे आनुवंशिकी पर आश्रित होता है। इस सोच में कोई वैज्ञानिक सत्य नहीं है कि असामान्य तनाव एवं चिंता बालों को असमय सफेद बना देती है। विज्ञापनकर्ताओं के बड़े-बडे़ दावों के बावजूद अब तक कोई ऐसी विश्वसनीय दवा नहीं बनी है जिससे सफेद बाल काले हो सकंे। मेंहदी या बाल रंगने वाले पदार्थों (हेयर डाई) के इस्तेमाल से बालों की सफेदी को सिर्फ कुछ समय के लिये छिपायी जा सकती हैै।


प्रायः यह समझा जाता है कि बालों पर पोषक तत्व युक्त शैंपू, प्राकृतिक पदार्थ जैसे बेसन और अंडे, नींबू, हल्दी, हरे फल, वनस्पतियां आदि लगाने से बालों को मजबूती मिलती है। लेकिन सच्चाई यह है कि बाल की आवरण-परत एक ऐसे पदार्थ से बनी है जो किसी भी पोषक तत्व को बाल के भीतर नहीं पहुंचने देता। अतः बालों को धोने के लिए किसी प्रोटीन वाले या विटामिन तथा पोषक तत्वों से भरपूर महंगे शैंपू का प्रयोग निरर्थक है। बाल दरअसल केरेटिन नामक अगम्य पदार्थ के बने होते हैं और उनका उगना पूरे तौर पर उस जड़ पर निर्भर करता है जो त्वचा में दबी होती है।


बालों में लगाया जानेवाला तेल भी बाल के भीतर नहीं पहुंच सकता। बालों की अपनी चमक पूरी तरह प्राकृतिक होती है और उस तेल-ग्रंथि की देन होती है जो बाल की जड़ के साथ त्वचा में बसी होती है। फिर भी मालिश करना बालों की तंदुरुस्ती के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। इससे सिर की त्वचा की रक्तवाहिकाओं में खून का दौरा बढ़ जाता है, जिससे बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं और अधिक पोषण पाती हैं।


बालों की सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। वायुमंडल में फैले प्रदूषक कण, गंदगी और धूल से छुटकारा पाने के लिए बालों को समय-समय पर धोना बहुत जरूरी है। बालों को धोने के लिए कोई भी अच्छा साबुन, शैंपू, शिकाकाई, रीठा या सिरका इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इनमें कुछ कार्बनिक अम्ल होते हैं जिससे गंदगी पानी के साथ घुलकर बाहर निकल जाते हैं। बालों में मुलतानी मिट्टी या दही में बेसन घोलकर लगाना भी फायदेमंद है।


शैंपू या साबुन लगाने के बाद बालों को तब तक धोना चाहिए जब तक बालों में से शैंपू या साबून पूरी तरह निकल न जाए। धोने के बाद जितनी जल्दी हो सके, बालों को सुखा लेना चाहिए। जाड़ों में तौलिए से झटककर और धूप में खड़े होकर और गर्मियों में तौलिए से बाल सुखाए जा सकते हैं। यदि बाल सुखाने के लिए ड्रायर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह सावधानी जरूर बरतें कि ड्रायर सिर के बहुत पास न रहे ताकि बालों को बहुत अधिक गर्मी न सहन करनी पड़े। यह सावधानी न बरतने से बाल अपनी चमक खो सकते हैं।


बालोें को स्वस्थ और सुंदर बनाए रखने के लिए दिन में कम-से-कम दो बार कंघी जरूर करें। इससे बालों में फंसी गंदगी निकल जाती है और बाल रूसी (डैंड्रफ) से बचे रहते हैं। यह सोच बिल्कुल गलत है कि बाल में अधिक बार कंघी करनेे से बाल अधिक झड़ते हैं। पौष्टिक और संतुलित आहार, सिर की मालिश, सफाई और कंघी करना ही सुंदर, घने, चमकीले और स्वस्थ बालों का आधार है।