आनुवंशिक एकल जीन विकारों के आनुवांशिक विष्लेषण में क्रांति

मानव स्वास्थ्य एवं रोगों के संदर्भों में हाल के वर्षों में मानव जीनोम में छिपी हुई जानकारी के बारे में हमारी समझ में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हालांकि पिछले एक दशक में मानव जीनोम अनुक्रमण पर खोजी गई एकल न्यूक्लियोटाइड बहुरूपता ने भी आम जटिल विकारों के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े उत्पन्न करने का मार्ग प्रशस्त किया, समकालीन अगली पीढ़ी के अनुक्रमण दृष्टिकोण ने जीनोम में दुर्लभ और अल्ट्रा दुर्लभ रूपों की पहचान को सक्षम किया है और इस प्रकार आनुवंशिक एकल जीन विकारों के आनुवांषिक विष्लेशण में क्रांति का सूत्रपात हुआ है। 
कार्यात्मक जीनोमिक्स और सिस्टम जीवविज्ञान दृष्टिकोणों में निकटवर्ती प्रगति, रोगों में अंतर्निहित रोगाणु तंत्रों के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान कर रहे हैं और इस तरह से नई उपचार विधियों का मार्ग प्रषस्त हो रहा है। 
प्रोफेसर बी के थलमा, एफ एन ए, जेनेटिक्स विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, साउथ कैम्पस, नई दिल्ली के जेनेटिक्स विभाग में प्रोफेसर बी के थलमा के अनुसार
विभिन्न नस्ली भारतीय आबादी में उपलब्ध विशाल मरीज संसाधन का उपयोग करते हुए बौद्धिक विकलांगता और पार्किंसंस रोग के पारिवारिक रूपों वाले जीन और संधिशोथ गठिया और अल्सरेटिव कोलाइटिस के जोखिम वाले जीन के क्षेत्र में कुछ रोमांचक खोजें प्रयोगशालाओं में हुई हैं।