डीएचईए क्या है?
डीहाइड्रोएपिएंड्रोस्टेरोन या डीएचईए का उत्पादन शरीर के एड्रेनल ग्रंथियों से होता है। ये ग्रंथियां गुर्दे के बिल्कुल ऊपर ही मौजूद होती हैं।
डीएचईए को “युवा हार्मोन“ भी कहा जाता है। यह शरीर में एक एड्रेनल स्टेरॉयड हार्मोन है जो एड्रेनल ग्रंथियों द्वारा बनाया जाता है और फिर एंड्रोजन, एस्ट्रोजेन और अन्य हार्मोन में परिवर्तित हो जाता है। ये हार्मोन वसा और खनिज चयापचय, यौन और प्रजनन कार्य, और ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। डीएचईए का स्तर तब तक बढ़ता है जब तक हमारा शरीर 20 के दशक तक होता है और उसके बाद यह उम्र के साथ घटने लगता है।
लोग युवा दिखने, बेहतर महसूस करने और अपने शरीर की संरचना में सुधार करने के लिए डीएचईए की खुराक का सेवन करते हैं। डीएचईए सप्लिमेंट का इस्तेमाल सेक्स क्षमता में सुधार करने, मांसपेशियों का निर्माण करने, बुढ़ापे को रोकने और कई अन्य चीजों के लिए भी किया जाता है।
सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी)
सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) से इनफर्टिलिटी का इलाज किया जाता है। एआरटी ने दुनिया भर में लाखों इनफर्टाइल दम्पतियों को बच्चो पैदा करने में सक्षम बनाया है। इस तकनीक में वैसे प्रजनन उपचार शामिल हैं जो गर्भ धारण करने के लिए शरीर के बाहर अंडे, शुक्राणुओं और भ्रूणों को मैनिपुलेट करते हैं। इस प्रक्रिया के तहत किसी महिला के शरीर से अंडों को निकाल लिया जाता है। उसके बाद भ्रूण बनाने के लिए अंडे को शुक्राणुओं के साथ मिश्रित किया जाता हैं। और फिर इसे महिलाओं के शरीर में वापस रखा जाता है। आईवीएफ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन है जो एआरटी का सबसे आम और प्रभावी प्रकार है।
इनफर्टिलिटी में डीएचईए कैसे काम करता है?
इसके फायदेमंद प्रभाव हैं:
ऽ आईवीएफ गर्भावस्था दर में वृद्धि करता है
ऽ सहज गर्भ धार के मौके को बढ़ाता है
ऽ गर्भ धारण करने में कम समय लगता है
ऽ अंडे और भ्रूण की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि करता है
ऽ भ्रूण में विवाह और गुणसूत्र असामान्यताओं का जोखिम कम कर देता है
ऽ प्रजनन उपचार के तहत मरीजों में कम्युलेटिव गर्भावस्था दर में सुधार करता है
डीएचईए और प्रजनन क्षमता
शोध के अनुसार प्रीमैच्योर ओवेरियन एजिंग के कारण ओवेरियन रिजर्व कम हो जाने वाली महिलाओं में एंड्रोजन का स्तर कम होता है, और अंडाशय में अंडों के विकास के लिए एंड्रोजन का अच्छा स्तर होना आवश्यक होता है। ऐसे कई मरीजों को जिन्हें बताया गया था कि वे दाता अंडे का उपयोग किये बिना बच्चे पैदा नहीं कर सकती हैं, उन्होंने डीएचईए सप्लिमेंट लेने के बाद बिना किसी समस्या के गर्भ धारण हासिल किया।
डीएचईए सप्लिमेंट उनकी ओवरी के वातावरण के भीतर एंड्रोजन स्तर को सामान्य श्रेणी तक बढ़ाने में मदद करता है, जिससे अंडे की गुणवत्ता में सुधार होता है। उच्च गुणवत्ता वाले स्वस्थ अंडे उच्च गुणवत्ता वाले भ्रूण में विकसित होते हैं, जिनमें प्रत्यारोपण का बेहतर मौका होता है और गर्भपात का जोखिम कम होता है।
विभिन्न अध्ययनों के माध्यम से यह पता चला है कि डीओआर के साथ महिलाओं में डीएचईए सप्लिमेंट एंड्रोजन के स्तर को बढ़ाता है और विकसित हो रहे फाॅलिकल पर एंड्रोजन रिसेप्टर्स के माध्यम से गर्भ धारण की संभावनाओं को बढ़ाता है। जिन महिलाओं के एंड्रोजन स्तर डीएचईए सप्लिमेंट के बाद सफलतापूर्वक बढ़ते हैं उनमें गर्भावस्था की संभावना बढ़ जाती है।
डीएचईए सप्लिमेंट ने आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से कम ओवरी रिजर्व (डीओआर) वाली महिलाओं के लिए चमत्कारी परिणाम दिए हैं। इससे उन महिलाओं के गर्भावस्था के परिणामों में सुधार हुआ है जो प्रीमैच्योर ओवेरियन एजिंग (या पीओए) से पीड़ित हैं और 40 से अधिक उम्र की महिलाएं जिनका ओवेरियन रिजर्व उम्र बढ़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया के तहत कम हो रहा है।
आईवीएफ के किन रोगियों को डीएचईए का उपयोग करना चाहिए?
निम्नलिखित समूह की महिलाएं इसका उपयोग शुरू कर सकती हैं:
ऽ 40 साल से अधिक उम्र की महिलाएं
ऽ जिन महिलाओं का ओवेरियन रिजर्व पैरामीटर इंगित करते हैं कि उनका ओवेरियन रिजर्व खत्म हो चुके हंै
डीएचईए सप्लिमेंट का उद्देश्य ओवरी के वातावरण में एंड्रोजन स्तर को इसके सामान्य स्वस्थ सीमा तक बढ़ाना है।
आईवीएफ गर्भावस्था दर पर डीएचईए का प्रभाव आईवीएफ चक्रों में महिलाओं द्वारा उत्पादित अंडों की उच्च गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करता है। कम ओवेरियन रिजर्व वाली महिलाओं में कुछ कम गुणवत्ता वाले अंडे होते हैं। खराब गुणवत्ता वाले अंडे निशेचन नहीं कर पाते हैं और जब वे निशेचन करते हैं, तो वे अक्सर खराब गुणवत्ता वाले भ्रूण में विकसित होते हैं जो भ्रूण स्थानांतरण से पहले बढ़ना रोक देते हैं, जिससे प्रत्यारोपण असफल हो जाता है, या गर्भाशय में विकास करना बंद करते हैं और गर्भपात हो जाता है।
अंडे की बेहतर गुणवत्ता और परिणामों के लिए आईवीएफ चक्र शुरू होने से पहले डीएचईए सप्लिमेंट को कम से कम 6-8 सप्ताह तक लेना चाहिए।
डीएचईए का सुरक्षित रूप से उपयोग करना
डीएचईए का लंबे समय तक उपयोग सुरक्षित नहीं है क्योंकि यह हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है। शरीर को हमेषा डीएचईए की जरूरत नहीं होती है, खासकर जब उम्र बढ़ती है। आईवीएफ के विशेष चिकित्सकों को रोगियों को बायो- आईडेंटिकल डीएचईए निर्धारित करने और समग्र हार्मोन के स्तर को प्रबंधित करने के लिए सुरक्षित सप्लिमेंट पर मार्गदर्शन और सलाह देने के लिए डीएचईए की सही मात्रा का पता है। कई डीएचईए सप्लिमेंट में पदार्थ की उच्च खुराक होती है और इनका अधिक मात्रा में उपयोग करने पर यह शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हंै।
आईवीएफ उपचार में 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को गर्भधारण में मदद करता है डीएचईए
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