30-40 वर्ष के लोगों में बढ़ रहा है दिल का दौरा

पिछले कुछ वर्षों में, हृदय रोग विषेशज्ञ एक चिंताजनक प्रवृत्ति देख रहे हैं। अब 30-40 साल के लोगों में दिल के दौरे के मामलों की संख्या बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित सरस्वती हार्ट एंड मल्टी स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल ने पिछले दो वर्षों में ऐसे 500 मामलों का अध्ययन किया है। हाॅस्पिटल के मुख्य सलाहकार और निदेशक डॉ. डी. के. अग्रवाल ने कहा, ''उनमें से 40 प्रतिशत लोगों में कोई पारंपरिक जोखिम कारक नहीं था। यही बात हमें परेशान करती है।''
डॉ. अग्रवाल ने कहा, ''शहरी क्षेत्रों में लोगों में तनाव बहुत अधिक होता है और साथ ही काफी संख्या में युवा शराब का सेवन करते हैं जिनकी वजह से यह समस्या बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता या अति-सक्रियता जैसे कारक आम तौर पर हृदय रोगों का कारण बनते हैं। मोटे तौर पर दिल के दौरे से पीड़ित 30 प्रतिशत लोग अधिक तनाव पैदा करने वाली नौकरी करने वाले होते हैं।''
उन्होंने कहा, ''दिल से संबंधित कई समस्याएं तेजी से शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण पैदा हो रही हैं। तीन दशकों में, 40 साल से कम उम्र के लोगों में हृदय रोगों के प्रकोप में आश्चर्यजनक रूप से, संभवतः तीन गुना दर से बढ़ोतरी हुई हैै।''
डाॅ. अग्रवाल ने कहा, ''युवा भारतीयों में कोरोनरी हृदय रोग की आवृत्ति विश्व स्तर पर किसी भी अन्य जनसंख्या समूह की तुलना में 15-18 प्रतिशत अधिक है। युवा भारतीयों में दिल का दौरा पश्चिम की तुलना में 3-4 गुना अधिक है।''
उन्होंने , ''अर्थव्यवस्था के नए उभरने वाले क्षेत्रों में कई युवा काम के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आक्रामक रूप से काम करते हैं और तनाव पैदा कर लेते हैं जिससे वे जोखिमों को आमंत्रित करते हैं। तनाव के कारण वे अपनी उम्र से अधिक दिख रहे हैं। विषम समय में काम करने और अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों के कारण भी ऐसा हो रहा है।''
उन्होंने कहा, ''4-5 घंटे लगातार बैठने का असर कुछ सिगरेट पीने की तरह ही होता है, और यह प्रवृत्ति टेक्नोलाॅजी पसंद कामकाजी लोगों के बीच अधिक प्रचलित है।''
उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि बढ़ते काम के बोझ, भविष्य की अनिश्चितता और व्यक्तिगत शौक को पूरा करने की कमी जीवन को सीमित कर रही है।'' 
उन्होंने कहा, ''दिल का दौरा से पीड़ित 40 साल से कम उम्र के अधिकांश लोग धूम्रपान करने वाले होते हैं। इसका एक कारण हमारे यहां मधुमेह के अधिक मामले का होना है। यही कारण है कि भारत में पश्चिम देशों की तुलना में कम से कम 10 साल पहले दिल के दौरे पड़ते हैं।''
डॉ. अग्रवाल बताते हैं, ''हृदय रोग का एक अन्य कारण वायु प्रदूषण है, जो रक्त वाहिकाओं और अग्न्याशय में बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। रक्त वाहिकाओं का इंफ्लामेशन रक्त के थक्के को बढ़ावा दे सकता है, जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ता है। इसके अलावा, अग्न्याशय में बीटा कोशिकाओं को नुकसान इंसुलिन स्रावित होने को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण मधुमेह हो सकता है।''
उन्होंने कहा, ''हम इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि वायु प्रदूषण दिल की समस्याओं में किस प्रकार योगदान देता है। दिल से संबंधित समस्याओं से पीड़ित अस्पताल में आईसीयू में भर्ती काफी मरीज ऐसे क्षेत्र में काम करने वाले होते हैं जिनमें अन्य क्षेत्रों की तुलना में वायु प्रदूषण के संपर्क में अधिक रहना पड़ता है।
पहले, हमारे पास वायु प्रदूशण के संपर्क में रह कर काम करने के कारण वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों को लेकर केवल 10 प्रतिशत मरीज आते थे, लेकिन अब 25 प्रतिशत मामले वायु प्रदूषण से संबंधित होते हैं। यह एक दिन में 5-10 सिगरेट पीने जैसा है।''