अधिक फैशन कहीं आपकी कमर के लिए कहर न बन जाए

 


 



डा. (प्रो.) राजू वैश्य ,,अध्यक्ष, आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन,,तथा वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन,,अपोलो हास्पीटल

महिलायें आम तौर पर पुरुषों की तुलना में कमर दर्द से अधिक पीड़ित रहती हैं जिसके लिए बढ़ता फैशन भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। आज आधुनिक एवं पढ़ी-लिखी महिलायें अपने को छरहरा एवं खूबसूरत दिखाने के लिये ऊंची एड़ी की चप्पल-जूतियों का अंधाधुंध प्रयोग करती हैं। लेकिन उन्हें शायद ही पता है कि उनका यह दिखावापन उनकी नाजुक कमर के लिये कहर साबित होता है। ऊंची एड़ी के जूते-चप्पलों का प्रयोग महिलाओं में कमर दर्द का प्रमुख कारण है। ऊंची एड़ी के जूते-चप्पल पहनने वाली महिलाओं के कमर दर्द से अधिक पीड़ित होने का कारण यह है कि ऐसे जूते-चप्पल पहनने से शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे कमर में खिंचाव पैदा होता है। इसके अलावा इससे रीढ़ पर भी अधिक दबाव पड़ता है। गर्भवती महिलाओं के आखिरी महीनों में होने वाले पीठ एवं कमर दर्द का भी कारण यही है। गर्भावस्था में भू्रण का भार कटि-क्षेत्र को आगे की ओर झुका देता है जिससे पीठ एवं कमर पर अधिक दबाव पड़ता है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्पाइनल एनेस्थिसिया देने से भी लंबे समय तक कमर दर्द होता है। महिलाओं में अधिक कमर दर्द के लिए उनकी शारीरिक संरचना एवं काम-काज की प्रकृति के अलावा जैविक कारण भी जिम्मेदार हैं।
महिलाओं में कमर दर्द का प्रकोप
अध्ययनों के अनुसार लगभग 41 प्रतिशत से ज्यादा महिलायें कमर दर्द से पीड़ित हैं। करीब एक करोड़ महिलायें हर साल कमर दर्द से ग्रस्त होती हैं। लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं का कमर दर्द एक साल से पुराना होता है। सभी आयु वर्ग की महिलायें कमर दर्द से प्रभावित हैं लेकिन 16-24 वर्ष के आयु वर्ग की हर तीसरी महिला और 45 से 64 आयु वर्ग की हर दूसरी महिला कमर दर्द से पीड़ित होती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कमर दर्द अधिक समय तक बना रहता है। पुरुषों को छोटे समयांतराल के लिए और तेज दर्द होता है। महिलाओं में कमर दर्द का एक प्रमुख कारण मासिक धर्म है। गर्मावस्था और बच्चे की देखभाल भी महिलाओं को कमर दर्द का शिकार होने का खतरा बढ़ा देता है। अमेरिकी अध्ययन के अनुसार 40 से 60 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं कमर दर्द का शिकार होती हैं।
कमर दर्द का उपचार


कमर दर्द के इलाज के लिये सबसे पहले इसके कारणों का पता लगाया जाता है। कमर दर्द के कारणों की सही-सही और सबसे अधिक जानकारी मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (एम.आर.आई.) से मिलती है। इससे यह पता चल जाता है कि किस नस पर कितना दबाव पड़ रहा है। आरंभिक स्थिति में कमर दर्द के इलाज के तौर पर चिकित्सक मरीज को आराम करने तथा व्यायाम करने की सलाह देते हैं। कई चिकित्सक मरीज को टै्रक्शन लगाने की भी सलाह देते हैं। लेकिन मरीज को कमजोरी, सुन्नपन और पेशाब करने में दिक्कत होने पर आपात स्थिति में ऑपरेशन करने की जरुरत पड़ सकती है। कमर दर्द के कारगर एवं कष्टरहित इलाज की खोज के लिये दुनिया भर में अध्ययन-अनुसंधान चल रहे हैं। इनकी बदौलत कमर दर्द के इलाज की अनेक कारगर एवं कष्टरहित विधियां एवं तकनीकें उपलब्ध हो गयी हैं।
कमर दर्द से कैसे बचें
आपके खड़े होने, बैठने, चलने-फिरने, चीजों को उठाने और ले जाने के तरीकों का आपकी कमर पर खासा प्रभाव पड़ता है। रोजमर्रे के जीवन में काम काज के दौरान कुछ सावधानियां बरत कर कमर दर्द से बचा जा सकता है। भारी वजन उठाते समय हमेशा अपने घुटनों को मोड़ें। लगातार बैठ कर काम करने से बचें। हर 15 मिनट पर खड़े हो जाएं और थोड़ा टहल लें। अपने लिए उचित तरीके से डिजाइन की गई कुर्सियां का ही इस्तेमाल करें। टेलीविजन देखते समय कुर्सी पर आराम से सीधे बैठकर और सही दूरी से टेलीविजन देखें। वाहन चलाते समय अपनी सीट को पीछे की तरफ सरका लें ताकि पैरों को ज्यादा जगह मिल सके। वाहन चलाते समय अपनी सीट में कमर के पीछे एक तकिया या कुशन रखने से कमर को सहारा और आराम मिलेगा। नियमित व्यायाम कमर की कमजोर मांसपेशियों की परेशानियों से दूर रखेगा। तैरना, थोड़ा एरोबिक्स और टहलने जैसे व्यायाम कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं। व्यायाम से दोहरा लाभ मिलता है। इससे न केवल कमर दर्द से राहत मिलती है, बल्कि कमर दर्द से बचाव भी होता है। धूम्रपान से परहेज करें। स्थूल जीवनशैली के साथ-साथ मोटापा कमर दर्द का कारण है। मोटापा से बचने के अलावा शरीर की चुस्ती-तंदुरूस्ती भी कमर दर्द से बचाव के लिये आवश्यक है। कमर दर्द से बचने के लिये खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिये। हमारे आहार में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होना चाहिये, क्योंकि इससे ऊतकों का निर्माण तेजी से होता है। इसके अलावा आहार में ताजे फल एवं सब्जियां भी पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिये, क्योंकि इनसे शरीर को विटामिन मिलती है।