आर्थोपेडिक सर्जन कैसे बने मैराथन धावक

    
डा. युवराज कुमार दिल्ली हाफ मैराथन, 2018 में


डा. युवराज कुमार (अंग्रेजी  : Dr. Yuvraj Kumar) की खासियत केवल यह नहीं है कि वह एक कुशल आर्थोपेडिक सर्जन हैं बल्कि यह भी है कि कुशल मैराथन धावक हैं और मुंबई फुल मैराथन (42 किलोमीटर) और दिल्ली मैराथन जैसे कई लंबी दौड़ प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। चलने-फिरने से लाचार हो चुके सैकड़ों लोगों को दोबारा फिट बनाना बनाना उनका पेशा है लेकिन अपने आप को फिट रखना उनका पैशन है। डाक्टरी की व्यस्त प्रैक्टिस के बावजूद वह सुबह-सुबह एक घंटे की लंबी दौड़ लगाने और व्यायाम करने के लिए समय निकाल ही लेते हैं। डा. युवराज कुमार इस समय फरीदाबाद के क्यूआरजी हेल्थ सिटी में ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक (अंग्रेजी : Director of Orthopedic and Joint Replacement Surgery at QRG Hospital) हैं। उन्होंने मस्कुलोस्केलेटल डिसआर्डर्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में शानदार काम किया है और कई जटिल और मुश्किल सर्जरी को सफल अंजाम देते हुए वैसे लोगों को दोबारा चलने-फिरने में सक्षम बनाया है जिन्होंने बीमारी या दुर्घटना के कारण बिस्तर पकड़ लिया था। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि डा. युवराज कुमार खुद को कैसे फिट रखते हैं। यहां पेश है डा. युवराज का फिटनेस फंडा जिसका पालन करके आप भी अपने को फिट और चुस्त – दुरूस्त रख सकते हैं।


सर्जन के लिए कितनी जरूरी है पूर्ण फिटनेस?
डा. युवराज कुमार बताते हैं कि फिटनेस किसी व्यक्ति की शारीरिक सक्रियता की क्षमता के आधार पर आंकी जाती है। वह कहते हैं, ”एक आर्थोपेडिक सर्जन होने के नाते मेरे लिए फिटनेस का मतलब पूर्ण परिशुद्धता के साथ किसी काम को सम्पन्न करना है और एक सर्जन के लिए अपने काम में थोड़ी सी भी कमी या गलती करने की गुंजाइश नहीं होती है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो यह किसी मरीज की जान के लिए खतरा हो सकता है। इसलिए मैं अपने काम में पूर्णता लाने के लिए हर संभव कोशशि करता हूं – शारीरिक और मानसिक तौर पर। मेरे लिए दिन की शुरूआत पांच बजे सुबह से होती है। सप्ताह में बार मैदान में जाकर दौड़ लगाता हूं और तीन दिन जिम में जाकर कसरत करता हूं। व्यायाम करने के बाद छाछ लेता हूं। इसके बाद स्नान करता हूं।”



डा. युवराज कुमार टाटा मुंबई मैराथन, 2019 में


आहार में क्या—क्या जरूरी है?
डा. युवराज बताते हैं, ”नाश्ते में मैं कुछ फल लेता हूं ताकि विटामिन और खनिज संतुलित रूप से शरीर को मिलता रहे। इसके अलावा मध के साथ पिसे हुए बादाम और रात भर पानी में भिंगोये गए किशमिश लेता हूं क्योंकि यह पाचनशक्ति को बढ़ाता है। इसके अलावा नाश्ते में चार उबला हुए अंडे और हरी सब्जियों के साथ एक चपाती खाता हूं। इसके बाद काम में जुट जाता हूं। मेरे रोजना के काम में ओपीडी में 70 से 80 मरीजों को देखना और कई सर्जरी शामिल है जो आम तौर पर खड़े होकर की जाती है।
दोपहर में सामान्य उत्तर भारतीय भोजन लेना पसंद करता हूं जिसमें हरी सब्जियां, फलियां, दही और सलाद के साथ दो चपातियां शामिल होती हैं। काम के दवाब के कारण या अपरिहार्य स्थितियों के कारण कभी-कभी, यदि दोपहर का भोजन नहीं कर पाता हूं तो भोजन की प्रतिपूर्ति के लिए आफिस में कुछ ड्राई फ्रुट्स और फल आदि रखता हूं न केवल अपने लिए बल्कि अपने सहयोगियों के लिए भी।”


कैसे रखें अपने को हाइड्रेट?
डा. युवराज कुमार के अनुसार गर्मियों में अपने आप को हाइड्रेटेड रखना और शरीर के इलेक्ट्रोलाइटिक संतुलन को बनाए रखना जरूरी होता है इसलिए बहुत सारा पानी पीना आवश्यक है। साथ में नारियल पानी, सेब का जूस या इलेक्ट्रोलाइट पाउडर का भी सेवन करना बेहद आवश्यक है। रात में सोने जाने से करीब तीन से चार घंटे पहले भोजन कर लेना चाहितए लेकिन शहर के भागदौड़ वाले जीवन और हमारे समाज में जो सांस्कृतिक-सामाजिक परम्पराओं के कारण ऐसा करना मुश्किल होता है।



डा. युवराज कुमार दिल्ली हाफ मैराथन, 2016 में


रात में भोजन कब करें?
डा. युवराज कुमार कहते हैं, ”वह आम तौर पर बिस्तर पर जाने से करीब दो से तीन घंटे पहले भोजन कर लेने की कोशिश करते हैं। रात के भोजन में बुधवार एवं शुक्रवार को मछली करी और रविवार एवं सोमवार को चिकन करी लेता हूं तथा बुधवार को हरी सब्जियां एवं फलियों से भरपूर भोजन लेता हूं। गुरूवार एवं शनिवार को दो चपाती और सलाद लेता हूं।”
​कैसे मिली फिटनेस की प्रेरणा?
डा. युवराज कुमार बताते हैं कि हालांकि वह पिछले 10 वर्षों से सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं लेकिन मेरे मन में कड़ी मेहनत करने का बीज वर्षों पहले बोए गए थे। जब वह बच्चे थे तो माँ सुबह 4 बजे जगाती थी और फिर वह कॉलोनी के अन्य परिवारों को जगाती थी और फिर हम सभी एक साथ टहलने जाते थे।”


फिटनेस कैसे पाएं?
वह कहते हैं कि जीवन एक यात्रा है और ऐसा ही फिटनेस है। फिटनेस केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मानसिकता में एक मौलिक बदलाव लाने का नाम है। आपने सफलता की अनगिनत कहानियां सुनी होंगी और इन सभी कहानियों में केवल एक चीज है जो सभी में समान रूप से मौजूद है वह है हार न मानने की अथक प्रतिबद्धता है। ऐसा ही फिटनेस के साथ है। आपको हार नहीं माननी चाहिए और आपको पेड़ों पर कम उंचाई पर लटके हुए फलों को पाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि आपको परिश्रम के पथ पर यात्रा करनी चाहिए, हंसते हुए। आप कम उंचाई पर लटके हुए फलों को खाकर आप स्वाद का आनंद तो ले लेंगे लेकिन आपको जो फल कठोर परिश्रम करने के बाद मिलेगा उसका स्वाद अदभूत होगा। लोग विभिन्न कारणों से व्यायाम करते हैं जैसे कि वजन कम करने के लिए, सुंदर दिखने के लिए। लेकिन डाक्टर के लिए व्यायाम अनिवार्य हो जाता है – अपने को निरोगी और चुस्त-दुरूस्त रखने के लिए ताकि वह दूसरों को बीमारियों से मुक्त करने की क्षमता और ताकत हासिल कर सके।


क्या फिटनेस का कोई फार्मुला है?
डा. युवराज कुमार बताते हैं, ”मैं पिछले बीस वर्षों से शनिवार को लगातार उपवास करता रहा हूं और दौड़ने का अभ्यास करता रहा हूं तथा पिछले दस वर्शों से लगातार चिकित्सक के तौर पर काम कर रहा हूं। मेरे सहयोगी, दोस्त अैर परिवार के लोग अक्सर मुझसे फिटनेस के बारे में सलाह मांगते हैं, मैं अपने अनुभव और ज्ञान उन्हें साझा करता हूं लेकिन अक्सर यही सुनता हूं कि नौकरी, काम तथा दौड़भाग में इतनी थकावट हो जाती है और आने-जाने में इतना समय लग जाता है कि व्यायामक रने का समय ही नहीं मिलता है। लेकिन मैं यही कहता हूं कि फिटनेस का कोई ''शॉर्ट-कट नहीं है। इसके लिए कोई बना बनाया फार्मुला नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि फिटनेस हासिल करने के लिए आंतरिक प्रेरणा कैसे प्राप्त हो। इसके लिए कोई सूत्र नहीं हैं। अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग-अलग कारणों से फिटनेस पाने की प्रेरणा पा सकते हैं।”