प्रसिद्ध आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विशेषज्ञ प्रो. राजू वैश्य के संपादन में प्रकाशित पुस्तक अब बाजार में उपलब्ध
घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस के विभिन्न पहलुओं एवं उपचारों के बारे में वैज्ञानिक और तथ्यपरक जानकारी देने वाली पुस्तक ”नी ओस्टियोआर्थराइटिस—क्लिनिकल अपडेट” का लोकार्पण पिछले दिनों इंगलैंड के लिसेस्टर में आयोजित ब्रिटिश इंडियन आर्थोपेडिक सोसायटी ..बीआईओएस.. के वार्षिक सम्मेलन के दौरान भारतीय मूल के प्रसिद्ध स्टेम सेल वैज्ञानिक प्रो. ए ए शेट्टी ने किया।
इस पुस्तक का संपादन भारत के प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन एवं अनुसंधानकर्ता प्रो. डा. राजू वैश्य ने किया है जिसमें घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस की रोकथाम और उपचार के बारे में वैज्ञानिक एवं तथ्यपरक जानकारी देने वाले शोध परक आलेखों को शामिल किया गया है। इन आलेखों को देश के प्रमुख आर्थोपेडिक विशेषज्ञों एवं शोधकर्ताओं ने लिखा है। यह पुस्तक की एक खासियत यह है कि इसमें रोचक तरीकों से ऑस्टियोआर्थराइटिस के कई महत्वपूर्ण एवं विशेष मामलों का विश्लेषण किया गया है। पुस्तक को बेहतरीन तरीके से संकलित और संपादित किया गया है और यह पुस्तक गेरिएट्रिक चिकित्सकों, आर्थोपेडिक सर्जनों, फिजियोथेरेपिस्टों और नर्सों के साथ-साथ आर्थोपेडिक्स के छात्रों और शोधकर्ताओं को भी बहुत मदद मिलेगी। यह पुस्तक चिकित्सा के छात्रों तथा चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस के बारे में गहराई से जानने में मददगार साबित होगी।
इस पुस्तक में घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस के सर्जरी रहित तरीकों, ओस्टियो आर्थराइटिस में फिजियोथिरेपी, फिजियोथिरेपी में उपयोग किए जाने वाली विभिन्न विधियों, मरीजों को चलने-फिरने में मदद करने वाले आर्थोटिक उपकरणों, नौट्रासेउटिकल्स, आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसके अलावा आपरेशन एवं बिना आपरेशन ओस्टियोपोरोसिस की उपचार विधियों, हाल में मिली वैज्ञानिक कामयाबियों, विभिन्न तरह के इम्प्लांटों, आर्थोस्कोपी, कम्प्यूटर आधारित नैविगेशन प्रणाली, टोटल नी आर्थोस्कोपी और रोबोट आधारित नैविगेषन आदि विषयों को भी पुस्तक में शामिल किया गया है।
इस पुस्तक के संपादक प्रो. डा. राजू वैश्य भारत में आर्थोपेडिक बिरादरी में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त चिकित्सक एवं चिकित्सा अनुसंधानकर्ता हैं। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में उनके 300 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं के वह संपादक रह चुके हैं। वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 58 शोध पेपर प्रकाशित हुए जबकि वर्ष 2018 में 80 शोध पत्र प्रकाशित हुए जो कि एक रिकॉर्ड है। वह नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वांइट रिप्लेसमेंट सर्जन हैं। साथ ही वह इंडियन कार्टिलेज सोसायटी और आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (एसीएफ) के अध्यक्ष हैं। वह प्रतिष्ठित शोध पत्रिका-जर्नल आफर क्लिनिकल ऑर्थोपेडिक्स एंड ट्रौमा के प्रमुख संपादक हैं। दुलर्भ किस्म की आर्थोपेडिक शल्य क्रियाओं को सफल अंजाम देने के लिए उनका नाम 2012, 2013, 2014 और 2016 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज किया जा चुका है। अफगानिस्तान, नाइजीरिया, कांगो आदि जैसे दुनिया के सबसे कठिन और युद्धग्रस्त इलाकों में भी उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चिकित्सा सेवाएं प्रदान की है। डा. बी सी रॉय ओरेशन अवार्ड एंवं गोल्ड मेडल, इनोवेशन अवार्ड इन मेडिसीन, प्राइड आफ एशिया अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड जैसे महत्वपूण पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। वह इंडियन कार्टिलेज सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष एवं आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं तथा नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वांट रिप्लेसमेंट सर्जन हैं।
इस पुस्तक में ओस्टियो आर्थराइटिस के परम्परागत उपचार विधियों के अलावा गैर परम्परगत उपचार विधियों पर आधारित आलेखों को भी शामिल किया गया है। मिसाल के तौर पर इस पुस्तक में शामिल एक शोध परक आलेख में बताया गया है कि आसन (शारीरिक मुद्रा), प्रणायम (श्वसनन क्रिया), ध्यान और अध्यात्मिक एवं भावनात्मक विचार प्रणाली पर आधारित योग थिरेपी ओस्टियो आर्थराइटिस के कारण उत्पन्न समस्याओं का समाधान करने में मददगार साबित होती है। ''घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस के प्रबंधन में जीवनशैली संबंधित सुधार'' नामक शोध पत्र में आर्थराइटिस विशेषज्ञ एवं शोधकर्ता डा. विवेक कुमार श्रीवास्तव ने कहा है कि योगा थिरेपी की मदद से कार्टिलेज प्रोटियोग्लायकम घटक में वृद्धि की जा सकती है और कार्टिलेज को क्षतिग्रस्त होने से रोका जा सकता है। योग क्वार्डिसेप्स और हैमस्ट्रिंग्स जैसी उन खास मांसपेषियों को मजबूत बनाने में सहायक है जो जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए सिकुड़ती है।
इस आलेख में डा. श्रीवास्तव कहते हैं कि योग अभ्यास करने से शरीर के विभिन्न हिस्सों में खिंचाव एवं मजबूती आने के कारण सिनॉवियल तरल की मत्रा में कमी नहीं आती। मसाज करने से भी अंदुरूनी हिस्से में ताजे रक्त का संचार होता है और नर्वस प्रणाली पुनर्जीवित होती है और जोड़ों, मांसपेषियों एवं लिगामेंट में चिकनापन आती है। इसका नर्वस एवं रक्त संचरण प्रणालिया पर अलग-अलग प्रभाव प्रड़ता है। साथ ही शरीर को राहत प्रदान करने वाले कारक सक्रिय होते हैं।
यह पुस्तक इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इस पुस्तक के जरिए घुटने की आर्थराइटिस की दिशा में हमारे देश में हो रहे अध्ययनों एवं शोधों को प्रमुखता दी गई है। हमारे देश में प्रकाशित होने वाली चिकित्सा विज्ञान की ज्यादातर पुस्तकें विदेशों में होने वाले शोधों पर आधारित होती है और इस मायने में प्रो. राजू वैश्य ने एक नई पहल की है। इस पुस्तक के जरिए चिकित्सा कार्यों में लगे हुए चिकित्सकों को शोध कार्यों और लेखन कार्यों के लिए भी प्रेरित किया गया है। यह देखा जाता है कि हमारे देश में ज्यादातर चिकित्सक एवं सर्जन चिकित्सा कार्यों में इतना व्यस्त रहते हैं कि वे अध्ययन, शोध एवं लेखन को पर्याप्त समय नहीं दे पाते जिसके कारण भारत के चिकित्सकों के अनुभव एवं शोध सामने नहीं आ पाते और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकों में भारत में होने वाले चिकित्सकीय शोधों और भारतीय चिकित्सकों के अनुभवों को जगह नहीं मिल पाती। उम्मीद है कि इस पुस्तक के कारण अन्य चिकित्सक भी शोध एवं लेखन कार्यों के लिए प्रेरित होंगे ताकि चिकित्सा विज्ञान में भारतीय अनुभवों को भी जगह मिल सके।