लिवर की सेहत को मापने का गैर इनवैसिव एवं दर्दरहित तरीका

भारत में लिवर से संबंधित बीमारियां सर्वाधिक आम हैं और हमारे देश में काफी हद तक इन बीमारियों की अनदेखी की जाती है। ज्यादातर मामले में मरीज तभी चिकित्सक के पास जाते हैं जब बीमारी गंभीर हो जाती है और बीमारी को पूर्व अवस्था में लाना संभव नहीं हो पाता है। यह देखा गया है कि लिवर सिरोसिस से ग्रस्त जो मरीज डाक्टर के पास आते हैं उनमें से 50 प्रतिशत मरीजों की मौत बीमारी का पता लगने के एक से डेढ़ साल के भीतर हो जाती है। ऐसे में यह सबसे जरूरी है कि बीमारी की समय पर जांच हो तथा बीमारी को बढ़ने से रोकने तथा मरीज की जान बचाने के लिए समय से इलाज शुरू हो। 
क्यूआरजी हास्पीटल के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी के निदेषक डा. संजय कुमार बताते हैं, ''अभी हाल तक लिवर के सिरोसिस की जांच की सबसे अच्छी विधि लिवर बायोप्सी थी जो न केवल इनवैसिव है बल्कि इसके साथ जटिलताएं जुड़ी होती है। लिवर बायोप्सी के बाद एक प्रतिषत मामले में मौत होने का खतरा रहता है। लेकिन अब हमारे पास एक नई तकनीक आ गई है जिसे फाइब्रोस्कैन कहा जाता है जिसकी मदद से लिवर में कड़ापन (फाइब्रोसिस और सिरोसिस) का आकलन गैर इनवैसिव तरीके से किया जा सकता है और लिवर की बायोप्सी की जरूरत खत्म हो गई है। यह फैटी लिवर से ग्रस्त मरीजों के लिए भी उपयोगी है और इसकी मदद से फाइब्रोसिस से ग्रस्त उन लोगों की जांच की जा सकती है जिनकी बीमारी बढ़ रही है। यह किसी भी कारण से होने वाली लिवर सिरोसिस एवं फाइब्रोसिस के आकलन में भी काफी उपयोगी है।'' 
लिवर फाइब्रोसिस की मांत्रा का आकलन करने के अलावा फाइब्रो स्कैन लिवर में जमा फैट की मात्रा का भी आकलन करता है। यह विधि न केवल सस्ती है बल्कि गैर इनवैसिव है। इसकी मदद से शीघ्र जांच की जा सकती है बलिक लिवर बायोप्सी की तरह ही सटीक परिणाम प्रदान करता है। यह लिवर की बीमारी के बढ़ने या घटने पर भी निगरानी रखता है और इसकी मदद से मरीज के इलाज को मरीज की जरूरत के मुताबिक परिवर्तित किया जा सकता है। 
सम्पूर्ण जांच विधि में दस मिनट से भी कम समय लगता है। मरीज जांच के तुरंत बाद घर या काम पर जा सकता है क्योंकि उसे कोई दर्द नहीं होता, कोई चीरा नहीं लगता, कोई एनेस्थिसिया नहीं यि जाता है। क्यूआरजी हेल्थ सिटी इस पूरे महीने ''हेल्दी गट प्रोग्राम' आयोजित कर रहा है और यहां बहुत कम दर पर फाइब्रो स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।