नई दिल्ली! ब्रिटेन के लीसेस्टर में आयोजित ब्रिटिश इंडियन आर्थोपेडिक सोसायटी (बीआईओएस) के वार्षिक सम्मेलन में भारतीय मूल के आर्थोपेडिक सर्जन की पुस्तक का लोर्कापण किया गया।
विश्व प्रसिद्ध चिकित्सा वैज्ञानिक एवं आर्थोपेडिक सर्जन प्रोफेसर ए ए शेट्टी ने बीआईओएस के वार्षिक सम्मेलन के दौरान गत सप्ताहांत घुटने की ऑस्टियोआर्थराइटिस आधारित पुस्तक ''नी ओस्टियो आर्थराइटिस-क्लिनिकल अपडेट'' का लोकार्पण किया। इस पुस्तक का संपादन प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन और चिकित्सा शोधकर्ता प्रो. (डॉ.) राजू वैश्य ने किया है जिसमें आपरेशन के बिना घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस के विभिन्न तरीकों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में अनेक आर्थोपेडिक सर्जनों के आलेखों को संकलित किया गया है।
इस मौके पर बीआईओएस के अध्यक्ष गौतम चक्रवर्ती, इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (आईओए) के अध्यक्ष प्रो. राजेश मल्होत्रा सहित कई प्रख्यात आर्थोपेडिक सर्जन मौजूद थे। इस मौके पर प्रो. (डॉ.) वैश्य ने ''3 डी प्रिंटिंग' और 'क्लिनिकल प्रैक्टिस में अनुसंधान' पर व्याख्यान भी दिया।
इस मौके पर प्रोफेसर ए ए शेट्टी ने इस पुस्तक के बारे में कहा, “मैं इस पुस्तक के संपादक और इस पुस्तक में शामिल किए गए शोधपरक लेखों के लेखकों को घुटने की ऑस्टियो आर्थराइटिस पर उपयोगी पुस्तक प्रकाशित करने पर बधाई देता हूं। इस पुस्तक में घुटने की ऑस्टियो आर्थराइटिस के विभिन्न पहलुओं के बारे में वैज्ञानिक जानकारी दी गई है और साथ ही साथ अनेक रोचक एवं महत्वपूर्ण मामलों का विश्लेषण भी किया गया है। पुस्तक को बेहतरीन तरीके से संकलित और संपादित किया गया है और यह पुस्तक गेरिएट्रिक चिकित्सकों, आर्थोपेडिक सर्जनों, फिजियोथेरेपिस्टों और नर्सों के साथ-साथ आर्थोपेडिक्स के छात्रों और शोधकर्ताओं को भी बहुत मदद मिलेगी।''
इस पुस्तक के संपादक प्रो. (डा.) वैश्य ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह पुस्तक चिकित्सा के छात्रों तथा चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस के बारे में गहराई से जानने में मददगार साबित होगी। इस पुस्तक में घुटने की ओस्टियो आर्थराइटिस के सर्जरी रहित तरीकों, ओस्टियो आर्थराइटिस में फिजियोथिरेपी, फिजियोथिरेपी में उपयोग किए जाने वाली विभिन्न विधियों, मरीजों को चलने-फिरने में मदद करने वाले आर्थोटिक उपकरणों, नौट्रासेउटिकल्स, आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसके अलावा आपरेशन एवं बिना आपरेशन ओस्टियोपोरोसिस की उपचार विधियों, हाल में मिली वैज्ञानिक कामयाबियों, विभिन्न तरह के इम्प्लांटों, आर्थोस्कोपी, कम्प्यूटर आधारित नैविगेशन प्रणाली, टोटल नी आर्थोस्कोपी और रोबोट आधारित नैविगेशन आदि विषयों को भी पुस्तक में शामिल किया गया है।
डा. राजू वैश्य भारत में आर्थोपेडिक बिरादरी में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त चिकित्सक एवं चिकित्सा अनुसंधानकर्ता हैं। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में उनके 300 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं के वह संपादक रह चुके हैं। वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 58 शोध पेपर प्रकाशित हुए जबकि वर्ष 2018 में 80 शोध पत्र प्रकाशित हुए जो कि एक रिकॉर्ड है। वह नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वांइट रिप्लेसमेंट सर्जन हैं। साथ ही वह इंडियन कार्टिलेज सोसायटी और आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (एसीएफ) के अध्यक्ष हैं। वह प्रतिष्ठित शोध पत्रिका-जर्नल आफर क्लिनिकल ऑर्थोपेडिक्स एंड ट्रौमा के प्रमुख संपादक हैं। दुलर्भ किस्म की आर्थोपेडिक शल्य क्रियाओं को सफल अंजाम देने के लिए उनका नाम 2012, 2013, 2014 और 2016 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज किया जा चुका है। अफगानिस्तान, नाइजीरिया, कांगो आदि जैसे दुनिया के सबसे कठिन और युद्धग्रस्त इलाकों में भी उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चिकित्सा सेवाएं प्रदान की है। डा. बी सी रॉय ओरेशन अवार्ड एंवं गोल्ड मेडल, इनोवेशन अवार्ड इन मेडिसीन, प्राइड आफ एशिया अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड जैसे महत्वपूण पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। वह इंडियन कार्टिलेज सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष एवं आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं तथा नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वांट रिप्लेसमेंट सर्जन हैं।
ब्रिटेन में भारतीय आर्थोपेडिक सर्जन की पुस्तक का हुआ लोकार्पण
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